
नई दिल्ली. अमेरिका (USA) का एक मिलिट्री प्लेन (Army plane) प्रवासियों (immigrants) को भारत (India) भेज रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी अमेरिका के एक ऑफिसर ने दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ले रहे हैं, जिसमें अमेरिकी-मैक्सिको (US-Mexico) सीमा पर अतिरिक्त सैनिक भेजना, प्रवासियों को देश से बाहर करने के लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स का उपयोग करना और उन्हें ठहराने के लिए सैन्य अड्डे खोलना शामिल है.
पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा पकड़े गए 5,000 से ज्यादा अप्रवासियों को देश से बाहर करने के लिए फ्लाइट्स भी देना शुरू कर दिया है. अब तक, मिलिट्री प्लेन्स ने प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास तक पहुंचाया है. मिलिट्री फ्लाइट्स प्रवासियों को ले जाने का एक महंगा तरीका है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ़्ते ग्वाटेमाला के लिए एक मिलिट्री डिपोर्टिंग फ्लाइट की लागत प्रति प्रवासी कम से कम 4,675 डॉलर थी.
अमेरिका में जब पहली बार प्रवासियों के लिए बना कानून
मार्च 1790 में कांग्रेस ने पहला कानून पारित किया कि किसे अमेरिकी नागरिकता दी जानी चाहिए. 1790 का प्राकृतिककरण अधिनियम ने किसी भी ‘अच्छे चरित्र’ वाले स्वतंत्र श्वेत व्यक्ति को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी, जो दो साल या उससे अधिक समय से संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहे थे. नागरिकता के बिना, गैर-श्वेत निवासियों को बुनियादी संवैधानिक सुरक्षा से वंचित किया गया, जिसमें वोट देने, संपत्ति रखने या अदालत में गवाही देने का अधिकार शामिल था.
अगस्त 1790: पहली अमेरिकी जनगणना हुई. 3.9 मिलियन लोगों में अंग्रेज सबसे बड़े जातीय समूह निकलें, हालांकि पांच में से एक अमेरिकी अफ्रीकी मूल के थे.
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