
मॉस्को। भारत (India) ने अमेरिका (America) से छिड़े टैरिफ वार (Tariff War) के बीच अपनी कूटनीति से वाशिंगटन (Washington) को भी मुश्किल में डाल दिया है। भारत अमेरिकी टैरिफ का जवाब अपनी कूटनीतिक और रणनीति से दे रहा है। ऐसे में भारत का हर अगला कदम अमेरिका को चौंका रहा है। इस कड़ी में अब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने अपनी मॉस्को यात्रा (Moscow Visit) के दौरान भारत की कूटनीति से एक बार फिर अमेरिका को चौंका दिया है। विदेश मंत्री ने रूसी कंपनियों को भारत में निवेश का खुला ऑफर देकर अमेरिकी टैरिफ को धता बता दिया है। अगर रूसी कंपनियां भारत में निवेश को तैयार हुईं तो यह निश्चित रूप से अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा।
मॉस्को में जयशंकर ने 26वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26 वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में रूसी कंपनियों को भारत में निवेश करने का खुला ऑफर दिया। इसके साथ ही इस दौरान उन्होंने भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को जल्द अंतिम रूप देने पर जोर दिया। इस दौरान जयशंकर ने कहा कि टैरिफ, गैर टैरिफ और लॉजिस्टिक्स की बाधाओं को दूर करना, अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कोरिडोर के जरिये कनेक्टिविटीको बढ़ावा देना और इसके लिए एक सुचारू भुगतान मैकेनिज्म तैयार करना बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने भारत-रूस बिजिनेस फोरस को भी संबोधित किया।
जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस को आपसी परामर्श के माध्यम से अपने एजेंडे में निरंतर विविधता और विस्तार लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें अपने व्यापार और निवेश संबंधों की पूरी क्षमता का दोहन करने में मदद मिलेगी। हमें एक ही रास्ते पर अटके नहीं रहना चाहिए।’’ जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए ‘‘मापे जा सकने वाले लक्ष्य और विशिष्ट समय-सीमा’’ निर्धारित करने का भी आह्वान किया। जयशंकर ने विचारों के दो-तरफा प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए व्यापार मंच और आईआरआईजीसी के विभिन्न कार्य समूहों के बीच एक ‘‘समन्वय तंत्र’’ की भी वकालत की।
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