
नई दिल्ली: भारत (India) के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (Economic Advisor) वी. अनंथा नागेश्वरन (V. Anantha Nageswaran) ने कहा है कि अमेरिका (America) जल्द ही भारतीय सामान पर लगने वाला 25 फीसदी का अतिरिक्त पेनल टैरिफ (Tariff) हटा सकता है. इतना ही नहीं, अमेरिका (America) की ओर से लगाई गई रेसिप्रोकल ड्यूटी (Reciprocal Duty) भी मौजूदा 25 फीसदी से घटाकर 10 से 15 फीसदी के बीच लाई जा सकती है. कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान नागेश्वरन ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में, शायद उससे भी पहले, अमेरिका इस पेनल टैरिफ को हटाने पर फैसला कर सकता है.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि रेसिप्रोकल ड्यूटी कम होकर उसी स्तर पर आ सकती है, जिसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी, यानी 10 से 15 फीसदी तक. अगर ऐसा होता है तो भारतीय निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे. टैरिफ हटने से भारत के स्टील, एल्युमिनियम और अन्य इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स को अमेरिका के बाजार में और आसानी से जगह मिलेगी.
ये बयान उस समय आया है जब हाल ही में भारत के चीफ ट्रेड नेगोशिएटर और वाणिज्य मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल (Rajesh Agrawal) ने अमेरिका के साउथ और सेंट्रल एशिया के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच (Brendan Lynch) से नई दिल्ली में मुलाकात की. यह दोनों देशों के बीच पहली आमने-सामने की बातचीत थी, जब से ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने भारतीय एक्सपोर्ट्स पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया था.
ट्रंप सरकार के फैसले के बाद बने डबल-लेयर्ड टैरिफ रेजीम ने भारतीय एक्सपोर्टर्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कुछ प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी 50 फीसदी तक पहुंच गई है. इसका सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और फूड प्रोडक्ट्स जैसे लेबर-इंटेंसिव सेक्टर्स पर पड़ा है. एक्सपोर्टर्स का कहना है कि इससे मार्जिन बुरी तरह दब गए हैं और प्रॉफिटेबिलिटी पर सीधा असर पड़ा है.
अगर अमेरिका पेनल टैरिफ वापस लेता है और रेसिप्रोकल ड्यूटी घटती है तो भारतीय एक्सपोर्टर्स को बड़ी राहत मिलेगी. एनालिस्ट्स का मानना है कि इससे कॉस्ट प्रेशर कम होगा और दोनों देशों के बीच ट्रेड रिलेशन में दोबारा स्थिरता आएगी.
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