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अमेरिकियों पर पड़ रही ट्रंप के टैरिफ की मार, US में चरम पर महंगाई, तोड़ रही लोगों की कमर..

August 31, 2025

वाशिंगटन। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार (Presidential election campaign) के दौरान डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बार-बार वादा किया था कि वे महंगाई पर काबू (Inflation Control) पाएंगे और अमेरिकी परिवारों के लिए “अफोर्डेबिलिटी” यानी ऐसा दौर वापस लाएंगे जिसे लोग वहन कर सकें। अगस्त 2024 की एक रैली में उन्होंने यहां तक कहा था- “जब मैं जीतूंगा, तो पहले ही दिन से कीमतें घटाना शुरू कर दूंगा। मैं अमेरिका (America) को फिर से किफायती बनाऊंगा।” लेकिन जनवरी 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अब हालात इसके ठीक उलट दिख रहे हैं। आर्थिक आंकड़े और विशेषज्ञों के विश्लेषण बताते हैं कि रोजमर्रा की जरूरत की चीजें- खासकर किराने का सामान और बिजली लगातार महंगी होती जा रही हैं।


ट्रंप की नीतियों से बढ़ी कीमतें
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियां, जैसे कि आयात पर व्यापक टैरिफ (शुल्क) और जुलाई 2025 में लागू हुआ “वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट”, महंगाई के बड़े कारण हैं। इस नए कानून में टैक्स और खर्च से जुड़ी कई प्रावधान शामिल हैं, जिनसे बाजार में अस्थिरता बढ़ी है।

“डी मिनिमिस” नियम की समाप्ति (जिसके तहत उपभोक्ता 800 डॉलर तक का सामान बिना शुल्क के मंगा सकते थे) ने भी अमेरिकियों की जेब पर बोझ डाला है। अब ऑनलाइन खरीदी जाने वाली सस्ती विदेशी वस्तुएं महंगी हो गई हैं। भारत सहित कम से कम 25 देशों के डाक और कुरियर सेवा प्रदाताओं ने अमेरिका को सामान भेजना बंद कर दिया है। भारतीय पोस्ट ऑफिस ने भी 25 अगस्त से अमेरिकी कंसाइनमेंट लेना रोक दिया है। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए विदेशी उत्पाद और महंगे होंगे।

ट्रंप की नीतियों पर विपक्ष का हमला
वॉशिंगटन स्टेट की सीनेटर पैटी मरे ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज की तारीख में, ट्रंप की वजह से अमेरिका 1933 के बाद से सबसे ऊंचा टैरिफ भर रहा है। हर घराना ट्रंप के टैरिफ के चलते 2,400 डॉलर तक का नुकसान झेलेगा। आज अमेरिकी लगभग हर चीज के लिए ज्यादा कीमत चुका रहे हैं, और इसकी वजह ट्रंप खुद हैं।”

किराने की कीमतों में तेज उछाल
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2025 तक फूड प्राइस इंडेक्स 0.2% बढ़ा है। पूरे साल के अंत तक खाद्य कीमतों में 3.4% वृद्धि का अनुमान है, जो पिछले 20 सालों की औसत दर (2.9%) से अधिक है। अंडे और बीफ जैसी वस्तुओं की कीमतें सप्लाई संकट की वजह से सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। अगस्त 2025 के AP-NORC सर्वे में 53% अमेरिकियों ने कहा कि किराने की महंगाई उनके लिए सबसे बड़ा तनाव है। कम आय वाले परिवारों (30,000 डॉलर से कम वार्षिक आय) में यह आंकड़ा 64% तक पहुंच गया।

टैरिफ का सीधा असर
अमेरिका 94% झींगा, 55% ताजा फल और 32% ताजी सब्जियां आयात करता है। इन पर अब 10% से लेकर 46% तक टैरिफ लगाया गया है। केले, कॉफी, चॉकलेट और सूखे मेवे जैसी रोजमर्रा की चीजें अब और महंगी हो रही हैं। एक अध्ययन के अनुसार, एक चार सदस्यीय परिवार का सालाना ग्रोसरी बिल 185 डॉलर अतिरिक्त बढ़ेगा।

बिजली के बिलों ने बढ़ाई मुश्किल
ट्रंप के कार्यकाल में बिजली दरों ने और भी तेज उछाल लिया है। मई 2024 से मई 2025 के बीच रेज़िडेंशियल बिजली दरें 6.5% बढ़ीं। जनवरी से अब तक घरेलू ऊर्जा बिल लगभग 10% तक बढ़ चुके हैं, जबकि 2020 से अब तक यह बढ़ोतरी 34% से भी ज़्यादा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ ने बिजली ढांचा (ट्रांसमिशन लाइन, सबस्टेशन, पावर प्लांट) के रखरखाव और निर्माण लागत को 20% तक बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर ही डाला जा रहा है।

“वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट” का असर
इस नए कानून ने क्लीन एनर्जी टैक्स क्रेडिट्स (पवन, सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, एनर्जी एफिशिएंसी) को खत्म कर दिया और इसके बजाय फॉसिल फ्यूल्स को सब्सिडी दी गई है। जुलाई 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, थोक बिजली दरें 2030 तक 25% और 2035 तक 74% बढ़ सकती हैं। उपभोक्ता दरों में 9-18% की वृद्धि होने का अनुमान है। इसका असर 2030 तक 8.4 लाख नौकरियों के नुकसान और 1.1 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी में गिरावट के रूप में देखने को मिल सकता है।

टैक्स कट्स का फायदा किसे?
ट्रंप ने टैक्स कट्स को भी अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि बताया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इनका सबसे बड़ा फायदा अमीर तबके और बड़ी कंपनियों को हुआ है। उच्च आय वर्ग की कर-बचत 2–3% तक बढ़ी, जबकि मध्यम और निम्न आय वर्ग को 1% से भी कम फायदा मिला।

नतीजा: वादों के उलट हकीकत
ट्रंप ने चुनावी वादे में “अमेरिका को फिर से किफायती” बनाने की बात कही थी, लेकिन ग्रोसरी और बिजली की बढ़ती कीमतें आम परिवारों की जेब पर भारी पड़ रही हैं। अब सवाल यह है कि महंगाई की यह रफ्तार कहां जाकर थमेगी—क्योंकि अमेरिकी परिवारों के लिए रोज़मर्रा की ज़िंदगी पहले से कहीं अधिक महंगी हो चुकी है।

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