
नई दिल्ली । बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंसक प्रदर्शनों (Violent protests) और अल्पसंख्यक समुदाय (Minority community) पर हमलों के बाद स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। बांग्लादेश तेजी से कट्टरपंथी इस्लामिक गुटों की गिरफ्त में आता नजर आ रहा है और मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए देश में कानून व्यवस्था को संभालना बड़ी चुनौती बन गई है। इन सब के बीच बांग्लादेश की सबसे अहम पार्टियों में से एक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (Khaleda Zia) के बेटे तारिक रहमान (Tariq Rahman) 17 साल बाद वतन लौट रहे हैं। 2008 से विदेश में रह रहे रहमान की वापसी पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
इससे पहले बीएनपी ने बीते शुक्रवार को घोषणा की थी कि तारिक रहमान 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौटेंगे और पार्टी ने उनकी वापसी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी ने खालिदा जिया की तबियत को लेकर भी अपडेट जारी किया था। BNP उपाध्यक्ष अहमद आजम के मुताबिक बीते रविवार रात उनकी हालत और बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेशन सपोर्ट पर रखा गया है। बता दें कि जिया के बेटे 60 वर्षीय रहमान देश छोड़ने के बाद से लंदन में रह रहे हैं।
चुनाव में अहम दावेदार हैं बीएनपी
विश्लेषकों के मुताबिक शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से BNP देश में आम चुनाव जीतने की रेस में सबसे आगे हैं। जब तक कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता, BNP की जीत की संभावना सबसे अधिक है। वहीं मौजूदा हालातों और हिंसक प्रदर्शनों के बाद यूनुस सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं जिसके बाद बीएनपी की दावेदारी और मजबूत हो गई है। ऐसे में फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों से पहले तारिक रहमान की वापसी अहम है।
लोकतंत्र के चैंपियन के रूप में बनाई छवि
बीते कुछ समय में रहमान ने खुद को लोकतंत्र के चैंपियन के रूप में पेश किया है। उन्होंने चुनी हुई सरकार के महत्व पर भी जोर दिया है। इस महीने की शुरुआत में BNP की एक सभा को संबोधित करते हुए रहमान ने कहा, “सिर्फ लोकतंत्र ही हमें इससे (अराजकता से) बचा सकता है। और आप ही हैं, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के हर एक सदस्य, जो उस लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर सकते हैं।”
भारत को लेकर तारिक का क्या रुख?
तारिक रहमान ने स्पष्ट रूप से बताया है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के तहत बांग्लादेश की विदेश नीति क्या होगी। इस साल मई में, तारिक रहमान ने चुनावों और सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए यूनुस सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी भारत और पाकिस्तान से पहले बांग्लादेश को रखेगी। उन्होंने एक बयान में कहा था, “ना दिल्ली, ना पिंडी, सबसे पहले बांग्लादेश।” यह इसीलिए अहम है कि क्योंकि मुहम्मद यूनुस ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा अपनाई गई विदेश नीति की दिशा के से बिल्कुल उलट रास्ता अपनाया है। हसीना के समय में बांग्लादेश ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए थे। वहीं चीन और भारत के मामले में बांग्लादेश के हितों को संतुलित किया। इसके अलावा आवामी लीग ने पाकिस्तान से सुरक्षित दूरी भी बनाई थी। हालांकि मुहम्मद यूनुस ने भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंधों की कीमत पर पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों की वकालत की है।
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