
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र ( United Nations) में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में वीडियो संदेश के माध्यम से सहकारिता को भारत (India) की नई ताकत बताया। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारी समितियां अब सिर्फ पारंपरिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहीं, बल्कि डिजिटल सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, जैविक कृषि और वित्तीय समावेशन जैसे नए क्षेत्रों में ‘नवाचार’ और आत्मनिर्भरता का माध्यम भी बन गई हैं।
वीडियो संदेश में शाह ने कहा कि भारत में 2025 तक 8.4 लाख से अधिक सहकारी समितियों से जुड़े 32 करोड़ सदस्य सक्रिय हैं। समितियों ने किसानों को सीधे वैश्विक बाजारों से जोड़ा है, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और निर्यात लाभ देती हैं, जिससे उत्पादक स्थानीय से ग्लोबल स्तर तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल नवाचार जैसे एआई, एम-स्ट्राइप्स आदि ने सहकारी समितियों को और समावेशी बनाया है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025–45 जैसे कदम इस आंदोलन को पारदर्शी, उत्तरदायी और भविष्य‑उन्मुख बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। शाह ने कहा कि भारत में सहकारिता सेवा, रोजगार और नवाचार का आधार बन रही है और यही मॉडल समावेशी विकास को वैश्विक पहचान दिला रहा है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि भारत की दुनिया की सबसे बड़ी अनाज संग्रहन योजना भी सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित की जा रही है। यह योजना न सिर्फ खाद्य सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि किसानों को बेहतर मूल्य और संगठित बाजार भी उपलब्ध कराती है। इसके साथ ही समावेशी विकास का संदेश देते हुए शाह ने कहा कि सहयोग का मॉडल सेवा, आत्मनिर्भरता, रोजगार और नवाचार की मजबूत नींव रखता है, जिससे हर भारतीय विकास में भागीदार और लाभार्थी दोनों बन रहा है।
वहीं कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने बताया कि भारत सरकार ने एआई जैसी तकनीकों को सहकारिता में लाकर इस क्षेत्र को और भी प्रभावी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। साथ ही NAFED के प्रबंध निदेशक दीपक अग्रवाल ने भी भारतीय सहकारी मॉडल पर प्रस्तुति दी और बताया कि साझेदारी और भागीदारी की भावना ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है ।
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