
चंडीगढ़ (Chandigarh) । अमृतपाल (amritpal) की तलाश में सुरक्षा एजेंसियों (security agencies) के अधिकारी बुधवार को उसके गांव जल्लूपुर खेड़ा पहुंचे। यहां उसकी पत्नी किरणदीप कौर (Wife Kirandeep Kaur) से भी पूछताछ की गई। उससे बब्बर खालसा (Babbar Khalsa) इंटरनेशनल नाम के आतंकी संगठन से संबंध और विदेशी फंडिंग मामले में पूछताछ की गई। शादी से पहले किरणदीप यूके में रहती थी। मीडिया में आई एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार वहां रहते हुए वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम के आतंकी संगठन के लिए काम कर चुकी है। वह यूके में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए फंड इकट्ठा करती थी।
वर्ष 2020 में उसे पांच अन्य साथियों सहित वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में लिया था। वहां भी उससे पूछताछ भी हुई थी। यह भी बताया जा रहा है कि किरणदीप कौर के कुछ खातों में भी विदेशों से धनराशि ट्रांसफर हुई है। इसकी भी जांच की जा रही है। हालांकि कोई पुलिस अधिकारी इस पर कुछ भी बताने से इन्कार कर रहा है।
पुलिस सिर्फ इतना कह रही है कि किरणदीप व उसके रिश्तेदारों के बैंक खातों की जांच की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों को अगर पूछताछ के दौरान कोई भी सुराग हाथ लगता है, तो किरणदीप को हिरासत में लिया जा सकता है। अमृतपाल के भाई को पुलिस पहले ही हिरासत में ले चुकी है। बुधवार को अमृतपाल की मां बलविंदर कौर, पिता तरसेम सिंह और चाचा सुखचैन सिंह और दादी चरण कौर से भी पूछताछ की।
घर में लगे वाइफाइ सिस्टम से परिवार के संपर्क में था अमृतपाल
अमृतपाल सिंह अपने घर में लगे वाइफाइ सिस्टम के जरिए ही परिवार के संपर्क में था। डीएसपी हरकृष्ण सिंह और डीएसपी परविंदर कौर ने घर की जांच की और वाइफाइ सिस्टम को जब्त कर लिया। पुलिस ने बंगलूरू की एक कंपनी से संपर्क कर पिछले छह महीने का डाटा रिकवर करने का आग्रह किया है। पुलिस को संदेह है कि अमृतपाल वाइफाइस सिस्टम के जरिए ही अपने परिवार के साथ लगातार संपर्क में है। पुलिस यह भी पता लगाएगी कि वह इसके जरिये किन-किन देशों में बातचीत करता था।
अमृतपाल के माता-पिता से डेढ़ घंटे पूछताछ
पंजाब पुलिस की टीम बुधवार करीब डेढ़ बजे अमृतपाल के गांव जल्लूपुर खेड़ा पहुंची और उसके माता-पिता से पूछताछ की। एसपी परमिंदर कौर ने बताया कि दोनों से करीब डेढ़ घंटे तक अमृतपाल के ठिकानों के बारे में पूछताछ की, लेकिन उन्होंने बेटे के बारे में किसी भी जानकारी से इन्कार किया। सूत्रों ने जानकारी दी है कि पुलिस ने उन पर दबाव बनाया कि वह अपने बेटे को आत्मसमर्पण करने के लिए कहें। पुलिस की एक टीम लगातार अमृतपाल के घर के बाहर पहरा दे रही है।
अमृतपाल को भगाने में पापलप्रीत का दिमाग, अमृतपाल को बाइक पर बैठाकर ले गया था
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अमृतपाल सिंह को भगाने के पीछे 38 वर्षीय पापलप्रीत सिंह का दिमाग था। पापलप्रीत अमृतपाल सिंह का गुरु माना जाता है। मंगलवार को जारी सीसीटीवी फुटेज में जिस बाइक पर अमृतपाल बैठा दिख रहा है, उसे पापलप्रीत ही चला रहा था। वह आईएएसआई का करीबी रहा है। खालिस्तान संबंधी गतिविधियों को चलाने के लिए वह आईएसएआई से निर्देश भी लेता रहा है। पापलप्रीत की सलाह पर ही अमृतपाल ने एक कट्टरपंथी सिख उपदेशक से एक साधारण व्यक्ति के रूप में अपना वेश बदल लिया।
यह जानकारी उन चार लोगों ने दी, जिन्हें पंजाब पुलिस ने मंगलवार को पकड़ा था। इन युवकों ने अमृतपाल को ब्रेजा गाड़ी से भगाने में मदद की थी। पुलिस के मुताबिक पापलप्रीत ने मनप्रीत सिंह और गुरदीप सिंह की मदद से अमृतपाल को जालंधर के नंगल अंबियन गांव के एक गुरुद्वारे में ले गया था, जहां उसने कपड़े और हुलिए को बदला। पापलप्रीत पर हत्या के प्रयास सहित कुछ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। पुलिस ने पापलप्रीत की तस्वीरें पूरे पंजाब और पड़ोसी राज्यों में प्रसारित कर दी हैं।
अमृतपाल अभी तक फरार है। उसे गिरफ्तार करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि उसे जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पंजाब पुलिस को अन्य राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों से पूरा सहयोग मिल रहा है। -सुखचैन सिंह गिल, आईजी (मुख्यालय), पंजाब पुलिस
”वारिस पंजाब दे” पर प्रतिबंध की तैयारी
खालिस्तान समर्थक संगठन ”वारिस पंजाब दे” के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर शिकंजा कसने के बाद अब उसके संगठन पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार किसी भी समय इस पर प्रतिबंध लगा कर इसे गैर कानूनी घोषित कर सकती है। इसके लिए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब पुलिस और खुफिया विभाग से रिपोर्ट मांग ली है, ताकि डोजियर तैयार किया जा सके।
संगठन पर गैर कानूनी गतिविधियां रोकू कानून (यूएपीए) के तहत पाबंदी लगाई जा सकती है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई साक्ष्य इकट्ठा कर लिए हैं। अमृतपाल बैसाखी वाले दिन आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) की घोषणा करने वाला था। इसमें 260 से अधिक युवाओं को भर्ती किया जाना था। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उसकी मदद कर रही थी। उसे कई प्रतिबंधित संगठनों से विदेशों से फंड भी प्राप्त हुआ है।
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