रांची। दुनिया चांद पर पहुंच गई है, लेकिन झारखंड की स्वास्थ्य (health of jharkhand) गर्त में चली गई है। धनबाद के रेलवे अस्पताल (Railway Hospital) में ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप समझ नहीं पाएंगे कि हंसा जाए या इस हालत पर तरस खाया जाए। दरअसल मंगलवार को सुबह करीब 11 बज रहे थे। रेलवे अस्पताल के ऑर्थो विभाग के ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन चल रहा था। डॉ पीआर ठाकुर एक मरीज के ऑपरेशन में लीन थे। इसी बीच ऑपरेशन थिएटर की फॉल्स सीलिंग का हिस्सा तेज आवाज के साथ जमीन पर गिर पड़ा। फॉल्स सीलिंग के टुकड़े के साथ एक कुत्ता भी गिरा। इससे ऑपरेशन में सहायक की भूमिका निभा रहीं अंजलि घायल हो गईं।
आनन-फानन में ऑपरेशन रोक कर मरीज को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। ऑपरेशन के बाद स्लैब और प्लास्टर की तैयारी में जुटी एचएम अंजलि का उपचार किया गया। उन्हें कंधे और गर्दन में भी चोट आई है। इस घटना से जहां अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी हतप्रभ हैं, वहीं मरीज इंतजाम को लेकर सशंकित और भयभीत हो गए हैं। यह स्थिति तब है, जब हाल ही में ऑपरेशन थिएटर का जीर्णोद्धार हुआ है। अस्पताल प्रबंधन ने इंजीनियरिंग विभाग को मामले की जानकारी दे दी है। घटना के चार घंटे बीतने के बावजूद इंजीनियर विभाग से कोई भी कर्मचारी ओटी का हाल जानने नहीं पहुंचा।
छत और फॉल्स सीलिंग के बीच कुत्ते ने बना लिया घर
फॉल्स सीलिंग के जमीन पर आने से पहले से ही इसकी चेतावनी दी जा रही थी। दरअसल ओटी की छत और फॉल्स सीलिंग के बीच कुत्ते ने घर बना लिया है। पुराना भवन होने के कारण इसमें बड़ा सा वेंटिलेशन है।
दीवार के बगल में पड़े कूड़े पर चढ़ कर कुत्ता वेटिंलेशन के रास्ते फॉल्स सीलिंग तक पहुंच गया। आशंका है कि यहां कुत्ते के कई पिल्ले भी हैं। एक कुत्ता गिरने के बाद भी ऊपर अन्य कुत्तों की आवाज सुनाई दे रही है।
100 साल के रेल अस्पताल का यह हाल
धनबाद मंडल रेल अस्पताल का स्वर्णिम इतिहास है। इसी साल मंडल अस्पताल के सौ साल पूरे हुए हैं। इतना पुराना होने के बावजूद रेलवे अस्पताल का यह हाल है। दवा, डॉक्टर व अन्य मेडिकल सुविधा की कमी तो है ही, अस्पताल में ढंग से पीने के लिए पानी की आरओ मशीन तक मयस्सर नहीं है। कई जगहों पर सीलिंग से बारिश का पानी चूता है। मरीजों ने बताया कि यहां थोड़ी भी जटिल बीमारी का एक ही इलाज है- ‘रेफर’।
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