
विवेक उपाध्याय,जबलपुर। लैंड पुलिंग एक्ट पर राज्य सरकार और भारतीय किसान संघ की सुलह वार्ता के दो दिन बाद ही भारतीय किसान संघ और ज्यादा तमतमा गया है। संघ का आरोप है कि सरकार ने समझौते के दौरान एक्ट को निरस्त करने की बात कही थी, लेकिन वास्तव में उसमें केवल संशोधन कर दिया है,जिससे किसानों की मुश्किलें जरा भी कम नहीं होंगी, सरकार ये कदम किसी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता। इधर, जबलपुर में भी जल्दी लैंड पुलिंग की पहली बानगी जबलपुर रिंग रोड से लगी हुईं जमीनों पर दिखाई देगी और जबलपुर विकास प्राधिकरण भी अपनी नई स्कीम में नए लैंड पुलिंग एक्ट को लागू करने की तैयारी कर रहा है। किसान संघ ने चेतावनी दी है कि यदि नया एक्ट पूरी तरह से निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन फिर उसे उतना ही उग्र रूप ले लेगा, जैसा हाल ही उज्जैन में दिखाई दिया था।
हरगिज स्वीकार नहीं करेंगे
नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी संशोधित आदेश पर भारतीय किसान संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा कि सरकार का यह गोलमोल निर्णय किसानों को उलझाने वाला है और स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ सरकार को स्पष्ट करना चाहती है कि विरोध पुन:उग्र रूप धारण करेगा। उन्होंने कहा कि संघ की प्रदेश एवं राष्ट्ीय इकाई जल्दी ही इस पर अपना संयुक्त पक्ष रखेंगी। भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटैल ने कहा कि यदि ये इस एक्ट को अभी नहीं रोका गया तो भविष्य में ना केवल जबलपुर,बल्कि भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में भी किसानों की जमीनों के साथ ऐसा ही किया जाएगा। स्कीम 8-ए, 9-ए, 10-ए व 11 धारा 50-1 के खात्मे तक भारतीय किसान संघ का विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा,क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो किसान अपना सब कुछ गंवा देगा और सरकार मालिक बन जाएगी।
शाह को भी किया गुमराह : आरोप
संघ की ओर से आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल से इस मामले में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी सवाल-जवाब किए थे,लेकिन जिस ढंग से सरकार ने एक्ट को निरस्त करने के बजाए संशोधित किया है, उससे स्पष्ट है कि प्रतिनिधिमंडल ने श्री शाह को भी गुमराह किया है। हालांकि, संघ ने कहा कि अब संघ के पदाधिकारी जल्दी ही केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर सारे तथ्य सामने रखेंगे। उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर करीब एक साल से संघ और सरकार में तनातनी जारी है। राष्ट्ीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के आला नेता भी इस मामले में अपनी बात रख चुके हैं और इसके बाद भी मामले का पटाक्षेप शांतिपूर्ण ढंग से ना होना, कई सारी उलझी कहानियों की ओर इशारा करता है।
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