
- कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर करोड़ों की जमीनों-भूखंडों पर कब्जा करने के 25 मामले पकड़ाए
- पंजीयन विभाग का रिकॉर्ड प्रभारी हुआ निलंबित, निगम की मिलीभगत भी उजागर, पुरानी रजिस्ट्रियों में की गई हेराफेरी
- मुंबई निवासी के भूखंड की बनाई फर्जी रजिस्ट्री
- अंगूठी पंजी का पेज फाड़ा, वसीयत भी बोगस बना ली
- खरीदार के साथ गवाह के पते भी निकले नकली
- कलेक्टर की जांच कमेटी ने रिकॉर्ड रूम के खंगाले दस्तावेज
इंदौर, राजेश ज्वेल
अब सम्पदा पोर्टल (SAMPADA Portal) के माध्यम से ऑनलाइन अचल सम्पत्तियों (Assets) की रजिस्ट्री ( registry) होने लगी है, जिसके चलते उसमें तो गड़बड़ी नहीं हो सकती, मगर जो पुरानी रजिस्ट्रियां पंजीयन विभाग (Registration Department) के रिकॉर्ड रूमों में रखी हैं, उनके दस्तावेजों में हेराफेरी कर कूटरचित रजिस्ट्रियां तैयार करने का एक बड़ा घोटाला पकड़ाया है, जिसकी जांच कलेक्टर ने शिकायत मिलने के बाद शुरू करवाई और पंजीयन विभाग के ही मुताबिक ऐसी 25 सम्पत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा करने के प्रयास किए गए और उनकी कूटरचित रजिस्ट्रियां बना ली गईं। इसमें नैनोद, बिचौली हप्सी, बड़ा बांगड़दा, पालाखेड़ी, बिहाडिय़ा की बेशकीमती जमीनों से लेकर कई कॉलोनियों के भूखंड भी शामिल हैं। यहां तक कि राजवाड़ा स्थित शिवविलास पैलेस के पास के भूखंड के भी फर्जी दस्तावेज न सिर्फ तैयार किए गए, बल्कि निगम से उसका नामांतरण करवाते हुए सम्पत्ति कर का खाता भी खुलवा लिया। मुंबई निवासी इस भूखंड के असल मालिक ने इसकी शिकायत की तो यह फर्जीवाड़ा सामने आया।
कई वर्ष पूर्व इंदौर में फर्जी रजिस्ट्रियों के बड़े मामले सामने आए थे। उस दौरान ऑनलाइन रजिस्ट्री नहीं होती थी और क्रेता-विक्रेता के साथ गवाहों के भी फोटो नहीं लगते थे। यानी तब कोई भी व्यक्ति जाकर रजिस्ट्री करवा लेता था। मगर जब से ऑनलाइन सम्पदा पोर्टल शुरू हुआ, तब से इस तरह की फर्जी रजिस्ट्री पर तो रोक लगी, मगर पुराने दस्तावेजों में हेराफेरी अभी भी विभाग के ही कर्मचारियों की मिलीभगत से जमीनी जादूगरों द्वारा करवाई जा रही है। अग्निबाण को पंजीयन विभाग की पिछले दिनों तैयार एक जांच रिपोर्ट हाथ लगी, जिसमें ऐसी 25 सम्पत्तियों का उल्लेख है, जिनके दस्तावेज को कूटरचित तरीके से तैयार किया गया। इसमें नैनोद के खसरा नम्बर 294/1 की 5.313 हेक्टेयर जमीन के दस्तावेजों को भी फटा हुआ पाया गया और पेपर, सील और स्याही भी अन्य दस्तावेजों की तुलना में अलग पाई गई। इस मामले की जांच गांधी नगर थाने द्वारा की जा रही है। इसी तरह चौहानखेड़ी के सर्वे नम्बर 192/1 की जांच भी खुड़ैल थाने को दी गई है, जिसमें अंगूष्ठ पंजी का पेज न सिर्फ फटा पाया गया, बल्कि कूटरचित दस्तावेज के जरिए नया पेज लगा दिया। इतना ही नहीं, वसीयत से जुड़े कागजों में भी हेराफेरी की गई और मृत्यु का प्रमाण-पत्र भी फर्जी लगाया, जो निगम रिकॉर्ड से अलग पाया गया। इसी तरह बिहाडिय़ा के सर्वे नम्बर 82/2 व अन्य की 25 एकड़ से अधिक जमीन किसी रामचंद्र हरिभाऊ द्वारा क्रेता लालसिंह को विक्रय करना बताया और इसमें भी अंगूष्ठ पंजी फटी पाई गई और लगाई गई सील में भी अंतर मिला। इस मामले में चंदन पाटीदार और अमित सिंह द्वारा शिकायत की गई थी। वहीं महू के गोकन्या स्थित सर्वे नम्बर 72, 190, 191, 181/1 और अन्य खसरों की 5.882 हेक्टेयर जमीन में भी अंगूष्ठ पंजी का पेज फटा मिला तो पीपल्याहाना के सर्वे नम्बर 213/1 की जमीन के दस्तावेज में क्रेता के नाम पर व्हाइटनर लगा दिया और इंडोस्मेंट में सुनील शांतिलाल का नाम अंकित कर दिया। इसी तरह की गड़बड़ी कर मूसाखेड़ी की खसरा नम्बर 461/3, 463 और 464 की जमीनों पर भी क्रेता के नाम पर व्हाइटनर लगाकर लाल स्याही से आशीष प्रेमनारायण का नाम हाथ से लिख दिया। पालाखेड़ी, बुड़ानिया, छोटा बांगड़दा और बिचौली हप्सी की भी 1/6, 30/1 और 30/2 व अन्य जमीनों में भी अंगूष्ठ पंजी के पेज फटे मिले तो दस्तावेज संदेहास्पद होने के साथ उनकी बाइंडिंग भी टूटी पाई गई। इन बेशकीमती जमीनों के अलावा कई भूखंडों में भी इसी तरह कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, जिसमें मित्रबंधु नगर के 15 भूखंडों की लगभग 15 हजार स्क्वेयर फीट जमीन को भी कूटरचित दस्तावेजों से हड़पना पाया गया, जिसमें जांच कमेटी ने कुछ दस्तावेज तो रिकॉर्ड रूम से गायब पाए तो जो मिले वह भी जीर्णशीर्ण अवस्था में अपठनीय पाए गए। जो दस्तावेज मिले उनमें रामलाल पिता ओंकारलाल एवं क्रेता भूरूबाई पति प्यारेलाल के 23 साल पुराने रिकॉर्ड में अंगूठा निशान और हस्ताक्षर ही नहीं पाए गए। इसी तरह न्याय नगर के भूखंड क्रमांक 208 के दस्तावेज में जहां अक्षरों को काला कर दिया और बाद में सेक्टर-सी हाथ से लिखा गया। इसकी भी जांच थाना खजराना को सौंपी गई है। वहीं मनोरमागंज के 10 हजार स्क्वेयर फीट के करोड़ों के 481 और 23/2 में भी अंगूष्ठ पंजी का भी पेज फटा मिला तो उषा नगर दशहरा मैदान स्थित भूखंड क्रमांक 293 के भी दस्तावेज संदेहास्पद पाए गए। नीर नगर के भूखंड 84 के तो सभी दस्तावेज बोगस ही जांच दल ने पाए तो शिवविलास पैलेस स्थित एक भूखंड को भी कूटरचित और फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़पने का प्रयास किया गया। हस्तीमल पिता गुलाबचंद चोकसी निवासी मुंबई द्वारा कलेक्टर आशीष सिंह को कुछ समय पूर्व शिकायत की गई कि उनके स्वामित्व और आधिपत्य का भूखंड म्युनिसिपल नम्बर 68 का अवैध नामांतरण खाता नगर निगम के झोन क्रमांक 3 द्वारा किसी जीतन पिता नेवाल पांडे के नाम पर खोल डाला, जबकि उक्त सम्पत्ति उन्होंने किसी को नहीं बेची और वर्तमान में भी उनके आधिपत्य में है। इस मामले में कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में जिला पंजीयक कार्यालय इंदौर-3 के रिकॉर्ड रूम में पदस्थ सहायक वर्ग-2 कर्मचारी मर्दनसिंह रावत को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। इस मामले की एफआईआर भी दर्ज कराई गई और जब क्रेता जीतन के अलावा दस्तावेज में उपस्थित गवाह बाबूलाल पिता मोतीलाल जैन निवासी 120, अनूप नगर और अशोककुमार जोशी निवासी पीर गली को नोटिस जारी किए गए तो न तो कोई जवाब प्रस्तुत हुआ और न ही इस पते पर पाए गए। इसमें मृत्यु प्रमाण-पत्र के साथ दर्ज वसीयत भी फर्जी पाई गई। इन सभी 25 फर्जी रजिस्ट्रियों की जांच के लिए चक्रपाणी मिश्रा, प्रदीप निगम, चंचल जैन, प्रभात पाराशर और नीता तंवर उपपंजीयकों की समिति जांच के लिए गठित की गई थी। कलेक्टर द्वारा बनाई इस जांच कमेटी ने ही रिकॉर्ड रूम सहित अन्य दस्तावेजों की जांच में कई अनियमितताएं पाईं।