
इंदौर। अग्निबाण ने कुछ समय पूर्व संघ से हटाए गए पूर्व पदाधिकारी का डेढ़ करोड़ का फर्जीवाड़ा उजागर किया था, जिसमें कंपनी डायरेक्टरों को जान से मारने की धमकी भी दी गई। मजे की बात यह है कि संघ के ही पूर्व पदाधिकारी ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। कल कनाडि़य़ा थाने में एक और नई एफआईआर राकेश दुबे के खिलाफ दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि एक दर्जन से ज्यादा भूखंडों की रजिस्ट्री फर्जी दस्तावेजों, सील-साइन के जरिए कर दी गई। इस मामले में संघ से ही जुड़े महावीर जैन ने शिकायत दर्ज करवाई है। जिसमें कहा गया कि उनकी पार्टनरशिप फर्म मेरू इन्फ्रा प्रोजेक्ट डेवलपर्स में अमानत में खयानत करते हुए 13 भूखंडों की अवैध रजिस्ट्रियां करवाते हुए कंपनी को लाखों रुपये की क्षति पहुंचाई।
धोखाधड़ी के मामले में तीन साल पहले भी पलासिया थाने पर संघ के पूर्व पदाधिकारी राकेश दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, उस वक्त चुनावी आचार संहिता चल रही थी। लिहाजा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल जाना पड़ा था। हालांकि बाद में जमानत पर दुबे रिहा हो गए। पलासिया थाने पर भी मेरू इन्फ्रा प्रोजेक्ट डेवलपर्स की ओर से सुनय जैन ने यह एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कंपनी से इस्तीफा देने के बावजूद राकेश दुबे ने पांच खाली चेकों का इस्तेमाल करते हुए अपने खुद के निजी खाते में कंपनी के डेढ़ करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए। संघ के ही पूर्व पदाधिकारी रहे नानूराम कुमावत के साथ भी दुबे द्वारा की गई धोखाधड़ी के मामले सामने आए। अभी कल कनाडिय़ा थाने पर महावीर जैन की शिकायत पर एक और नई एफआईआर दुबे के खिलाफ दर्ज की गई, जिसमें यह आरोप लगाया कि पूर्व में वे कंपनी के अफसर थे, जो बाद में हट गए, मगर पार्टनर लिखी सील लगाकर 13 भूखंडों की अवैध रजिस्ट्री कूटरचित दस्तावेजों के जरिए करवा डाली और इससे प्राप्त राशि कंपनी के खाते में जमा न करते हुए विजय कोठारी की कंपनी आरुषी होम के खाते में प्राप्त कर ली गई और मेरू कंपनी व आवेदक के साथ धोखाधड़ी की गई।
कावेरी कुंज नामक कालोनी में इन 13 भूखंडों की रजिस्ट्री करवाकर लाखों रुपए का घोटाला किया गया। हालांकि इस मामले में पुलिस को काफी समय पूर्व शिकायत की गई थी, जिसकी जांच-पड़ताल में समय लगा और भोपाल स्थित लैब से फारेंसिक जांच से साबित हुआ कि राकेश दुबे ने फर्जी हस्ताक्षर, सील-साइन, दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। दरअसल भाजपा और संघ के नेताओं के दबाव के चलते ही एफआईआर में विलम्ब हुआ। हालांकि आवेदक महावीर जैन खुद भी संघ से जुडे रहे हैं, इनका कहना है कि राकेश दुबे ने किसी को नहीं छोड़ा और सबके साथ धोखाधड़ी की। अभी चार दिन पहले संघ से जुड़े एक पदाधिकारी की भतीजी के फ्लैट पर भी अवैध रूप से कब्जा कर अपना बोर्ड लगा दिया।
तक्षशिला प्रा.लि. द्वारा बनाई गई इस मल्टी के फ्लैटों में भी इसी तरह की गड़बड़ी गई। यह भी उल्लेखनीय है कि चार साल तक जिस धोखाधड़ी की जांच पुलिस करती रही, चूंकि संघ के पूर्व पदाधिकारी से जुड़ा मामला था, इसलिए पुलिस भी खुद को किसी भी तरह के विवाद से बचाना चाहती थी, मगर सूत्रों का कहना है कि अभी इन्दौर आए मुख्यमंत्री की जानकारी में भी उक्त प्रकरण लाया गया और फिर अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्रवाई करने की हरी झंडी दिखाई, जिसके चलते फिर एफआईआर दर्ज हुई। इसी तरह अभी कनाडिय़ा पुलिस ने भी भाजपा से जुड़े एक नेता के खिलाफ डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की। भाजयुमो के नगर उपाध्यक्ष रहे कपिल गोयल और उनकी पत्नी सहित अन्य के खिलाफ यह धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। पूर्व में भी कपिल इसी तरह के जमीनी घोटाले में फंस चुके हैं और एमजी रोड और खुड़ैल थाने में भी शिकायतें दर्ज हैं। सूत्रों का कहना है कि सत्ता से जुड़े होने के कारण इन्दौर के अधिकांश संघ और भाजपा से जुड़े पदाधिकारी, नेता जमीनों के खेल में लिप्त हैं।
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