नई दिल्ली। तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के अंडर में दिल्ली में एक और जेल बनने को तैयार है। यह नरेला (Narela) में होगी, जिसे 40 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। यह दो चरणों में बनाई जाएगी। पहले चरण में 11 एकड़ में एक हाई सिक्योरिटी जेल होगी। पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल की तर्ज पर बनाई जाने वाली इस जेल में आतंकवादी, गैंगस्टर और अन्य खतरनाक कैदियों को रखा जाएगा, जबकि दूसरे चरण में 29 एकड़ में दो नॉर्मल जेल बनाई जाएंगी। नरेला में पहले चरण में बनाई जाने वाली जेल के लिए करीब 150 करोड़ रुपये का खर्चा होगा। जिसमें 100 करोड़ रुपये केंद्रीय गृह मंत्रालय देगा।
तय की गई डेडलाइन
सूत्रों का कहना है कि इस जेल को बनाने का टारगेट भी फिक्स हो गया है। अगर सब कुछ उम्मीद के अनुरूप चला तो यह जेल 2027 तक बनकर तैयार हो जाएगी। तीन जेलों के कैंपस वाली नरेला जेल में 2156 कैदियों को रखने की क्षमता होगी। इसमें हाई सिक्योरिटी जेल में 256 और अन्य दोनों जेलों में 950-950 कैदियों को रखा जाएगा। यह अन्य दोनों जेल ग्राउंड प्लस टू यानी डबल स्टोरी होगी।
कालापानी की तर्ज पर…
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में अंग्रेजों द्वारा 1906 में सेलुलर जेल बनाई गई थी। जो कालापानी के नाम से भी जानी जाती थी। ऑक्टोपस डिजाइन में बनाई गई इस जेल में सात पंख बनाए गए थे। प्रत्येक विंग में ग्राउंड, फर्स्ट और सेकंड फ्लोर बनाए गए थे, लेकिन नरेला की हाई सिक्योरिटी जेल में सात की जगह तीन विंग होंगे और बीच में इन तीनों विंग पर नजर रखने के लिए वॉच टावर बनाया जाएगा। सेलुलर जेल में 696 कालकोठरी बनाई गई थी, जबकि नरेला की इस जेल में 296 सेल बनाए जाएंगे।
सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजामसुरक्षा के लिहाज से यह जेल आधुनिक सीसीटीवी कैमरों और जैमर से लैस होगी। यह जेल पूरी तरह से कंक्रीट की बनाई जाएगी। इसमें सुरंग खोदना लगभग असंभव होगा। इसकी दीवारों पर इस तरह की हाई सिक्योरिटी फेंसिंग की जाएगी, जिसे कोई फांद नहीं सकेगा। इस हाई सिक्योरिटी जेल में तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल के उन कैदियों को शिफ्ट किया जाएगा। जो अक्सर जेल में बंद रहते हुए विभिन्न तरह के अपराधों को अंजाम देने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और अन्य तरह की क्रिमनल एक्टिविटी में शामिल रहते हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved