
गांधीनगर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि कोई भी न्याय प्रणाली (Any Justice System) तभी मजबूत मानी जाती है जब (Is considered Strong only when) वह सही मायने में समावेशी हो (It is Truly Inclusive) ।
राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) गांधी नगर का तृतीय दीक्षांत समारोह 28 फरवरी, 2025 को संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उपस्थित रहीं । इस प्रतिष्ठित शैक्षणिक अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल और गुजरात सरकार के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
एनएफएसयू के कुलपति एवं वरिष्ठ फोरेंसिक वैज्ञानिक डॉ. जे. एम. व्यास के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में 1562 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान हुई है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में न्याय आधारित सामाजिक व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विरासत और विकास को मिलाकर हम न्याय आधारित विकसित भारत का निर्माण कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय ने फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका को मजबूत करने और इस क्षेत्र में सुविधाएं और क्षमता विकसित करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी न्याय प्रणाली तभी मजबूत मानी जाती है जब वह सही मायने में समावेशी हो। उन्होंने छात्रों से कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से कमजोर और वंचित वर्गों को फोरेंसिक साक्ष्य के आधार पर निष्पक्ष और त्वरित न्याय प्रदान करना होना चाहिए। उन्होंने छात्रों से देश के सुशासन में योगदान देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों में अपराध जांच और साक्ष्य से जुड़े बदलाव किए गए हैं। जिन मामलों में सजा की अवधि सात वर्ष या उससे अधिक है, उनमें अब फोरेंसिक विशेषज्ञ का घटनास्थल पर जाकर जांच करना अनिवार्य कर दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सभी राज्यों में समयबद्ध तरीके से फोरेंसिक सुविधाओं के विकास का प्रावधान किया गया है। कई कानूनों में समयबद्ध फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन बदलावों से फोरेंसिक विशेषज्ञों की मांग बढ़ेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों, विशेषकर डिजिटल प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में, के कारण फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की क्षमताएं बढ़ रही हैं, लेकिन साथ ही, अपराधी भी नए तरीके खोज रहे हैं। हमारी पुलिसिंग, अभियोजन और आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली से जुड़े लोग अपराधियों से अधिक बुद्धिमान, अधिक तत्पर और सतर्क होकर ही अपराध को नियंत्रित करने और न्याय को सुलभ बनाने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के योगदान से एक मजबूत फोरेंसिक प्रणाली विकसित होगी, सजा की संभावना बढ़ेगी और अपराधी अपराध करने से डरेंगे।
राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के कुलपति डॉ. जे.एम. व्यास ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में एनएफएसयू का विकास और विस्तार हुआ है। शुरुआत में 73 छात्रों को पांच पाठ्यक्रम प्रदान करने वाला एनएफएसयू अब 72 पाठ्यक्रमो में 7,500 से अधिक छात्रों को सेवा प्रदान करता है। यह विश्वविद्यालय फोरेंसिक विज्ञान में एक वैश्विक मार्गदर्शक बन गया है, जो दुनिया भर में सुरक्षा और अनुसंधान में सहायता कर रहा है। उल्लेखनीय रूप से, विदेश में-युगांडा में परिसर प्रारंभ करने वाला सर्वप्रथम सरकारी विश्वविद्यालय बन गया है और वर्तमान में भारत में नौ परिसर संचालित कर रहा है और जल्द ही नौ और परिसर स्थापित करने की योजना भी है।
इस अवसर पर एनएफएसयू, गांधीनगर के परिसर निदेशक प्रो. (डॉ.) एस.ओ. जुनारे, कार्यपालक कुलसचिव सी.डी. जाडेजा, विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां, जिनमें वर्तमान और पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, एनएफएसयू के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के सदस्य, यूके, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, रवांडा, जिम्बाब्वे और पोलैंड के गणमान्य व्यक्ति, बड़ी संख्या में छात्र और उनके परिवारजन उपस्थित थे।
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