हड़ताल से रुकती है प्रगति, बुझते हैं गरीब घरों के चूल्हे

– सियाराम पांडेय ‘शांत’ विरोध-प्रदर्शन लोकतंत्र की ताकत है लेकिन तभी जब वह सार्थक और सकारात्मक हो। इसलिए विरोध जरूरी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि विरोध के नाम पर व्यवस्था बिगाड़ दी जाए। विरोध लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए। जरूरी मुद्दों पर होना चाहिए और उसमें किसी भी तरह की राजनीति का प्रवेश … Read more