
पुणे। सामाजिक कार्यकर्ता (Social activist) अन्ना हजारे (Anna Hazare) एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण उनकी चुप्पी पर उठ रहे सवाल हैं। पुणे (Pune) के पाषाण-सुतरवाड़ी क्षेत्र में लगे पोस्टरों ने ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर अन्ना हजारे (Anna Hazare) से ‘जागने’ की अपील की है। इन पोस्टरों में अन्ना की सोते हुए तस्वीर के साथ संदेश लिखा है, जिसमें उनसे कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ आवाज उठाने को कहा गया है। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए 88 वर्षीय समाजसेवी ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और युवाओं से आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया।
क्या है पूरा मामला?
पुणे के पाषाण क्षेत्र में स्थानीय कार्यकर्ता समीर उत्तरकर के नाम से लगाए गए इन पोस्टरों में लिखा है, ‘‘अन्ना, अब तो जाग जाओ। कुंभकर्ण भी रावण और लंका के लिए गहरी नींद से जाग उठा था, तो आप भी देश के लिए ऐसा क्यों नहीं करते?’’ पोस्टरों में यह भी उल्लेख किया गया कि देश अन्ना के ‘जादू’ को फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को उत्सुक है। ये पोस्टर उस समय सामने आए हैं, जब विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2024 के लोकसभा चुनावों में 1 लाख से अधिक वोटों की ‘चोरी’ का दावा किया था। उन्होंने दावा किया कि डुप्लिकेट एंट्री, फर्जी पतों और एक ही स्थान पर बड़े पैमाने पर पंजीकरण जैसे तरीकों से वोट चोरी की गई, जिसके कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सांसदों ने ‘124 साल की मिनता देवी’ के नाम वाले टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि मिनता देवी की उम्र 124 साल नहीं, बल्कि 35 साल थी, और यह एक टाइपोग्राफिकल त्रुटि थी।
अन्ना हजारे की प्रतिक्रिया
पोस्टरों के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, अन्ना हजारे ने पत्रकारों से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर की। हजारे ने कहा कि वे जो कर सकते थे, वह कर दिया है और अब समय आ गया है कि युवा उनके काम को आगे बढ़ाएं। हजारे ने बैनर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘मैंने 10 कानून बनवाए हैं, लेकिन 90 साल बाद भी अगर लोग मुझसे यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके सोते रहने के बावजूद सब कुछ करता रहूं, तो यह उम्मीद गलत है। मैंने जो किया है, उसे युवाओं को आगे बढ़ाना चाहिए।’’
हजारे ने भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसकी वजह से सूचना का अधिकार अधिनियम, जन लोकपाल विधेयक और उनके अपने गृहनगर रालेगण सिद्धि में सुधार हुए। उन्होंने युवाओं को याद दिलाया कि केवल स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा थामना पर्याप्त नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘नागरिक होने के नाते क्या हमारे कोई कर्तव्य नहीं हैं? केवल उंगलियां उठाने से कुछ हासिल नहीं होगा।’’ उन्होंने खेद व्यक्त किया कि ‘‘इतने वर्षों के संघर्ष के बाद भी समाज नहीं जागा है।’’ हजारे ने युवाओं से गांधीवादी आदर्शों को अपनाने और सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों से लड़ने की अपील की।
विपक्ष का हमला और अन्ना पर सवाल
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) ने अन्ना की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा, “वोट चोरी जैसे गंभीर मुद्दे पर अन्ना का चुप रहना उचित नहीं है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे बीजेपी को सत्ता में लाने की साजिश का हिस्सा थे, जिसने यूपीए सरकार को बदनाम किया।” NCP (SP) के शहर इकाई प्रमुख प्रशांत जगताप ने भी कहा, “यूपीए सरकार के दौरान अन्ना ने देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया, लेकिन अब जब बीजेपी सरकार में है, तो उनकी चुप्पी संदेह पैदा करती है।”
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