
उज्जैन। उज्जैन से इंदौर के बीच रेल मार्ग का दोहरीकरण पूरा होने में अभी अगले साल के मार्च माह तक इंतजार और करना पड़ेगा क्योंकि कार्य की गति को तेज होने में देरी होने की बात रेल अधिकारियों द्वारा भी स्वीकार की जा रही है। हालांकि यह रुका हुआ कार्य एक बार फिर से शुरू हो गया है लेकिन यह भी माना जा रहा है कि आगामी 2023 के मार्च तक ही काम पूरा हो सकेगा। अधिकारियों का कहना है कि 31 मार्च तक कड़छा से देवास के बिंजाना स्टेशन तक दोहरीकरण काम पूरा हो जाएगा, लेकिन पूरा काम होने में कम से कम आगामी वर्ष 2023 तक का ही समय लगेगा। वर्ष 2016-17 के वार्षिक बजट में रेल मंत्रालय ने इंदौर-उज्जैन मार्ग के दोहरीकरण की घोषणा की थी। 79.4 किलोमीटर का काम 650 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है। इसमें सिविल वर्क के अलावा सिग्नलिंग, टीआरडी, इलेक्ट्रिक पॉवर विभाग तथा अन्य विभागों के खर्च को भी शामिल किया गया है।
बजट के कारण रोका था काम
वर्ष 2017 में दोहरीकरण काम की शुरूआत हुई थी लेकिन बजट के कारण बीच में ही संबंधित ठेकेदार ने काम को रोक दिया था और इस कारण इस रेल मार्ग के दोहरीकरण का मामला अधर में लटक गया था। तीन वर्षों तक महज उज्जैन से कड़छा के बीच 15 किलोमीटर का ही काम पूरा किया जा सका था और इसके बाद ही बजट की कमी के कारण कड़छा से देवास के बीच होने वाले दोहरीकरण को ठेकेदार ने रोक दिया। काम बीच में ही बंद होने के बाद संासद अनिल फिरोजिया ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को अवगत कराया था और इसके बाद ही रेलवे जीएम आलोक कंसल ने गंभीरता से लिया। हालांकि बाद में दोहरीकरण कार्य को रेलवे बोर्ड ने विजन 2024 में शामिल करते हुए बजट के रूप में 178 करोड़ जारी कर दिए थे।
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