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अरब देशों ने इजरायल से कहा- हथियार डाल दो और गाजा की सत्ता भी छोड़ो

July 31, 2025

न्‍यूयार्क। कतर, सऊदी अरब (Qatar, Saudi Arabia) और मिस्र सहित अरब देशों ने मंगलवार को एक अभूतपूर्व कदम में हमास से हथियार डालने और गाजा पर अपने शासन को समाप्त करने की मांग की है, ताकि इस क्षेत्र में चल रहे विनाशकारी युद्ध को समाप्त किया जा सके। इतना ही नहीं, एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अरब लीग के सभी 22 सदस्य देशों ने पहली बार 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इजरायल पर हमले की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में मुस्लिम देशों ने सात पेज के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इन देशों में सऊदी अरब, कतर, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की शामिल हैं।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान को दोबारा अमल में लाने के उद्देश्य से यह सम्मेलन आयोजित किया गया। ‘फिलिस्तीन के प्रश्न का शांतिपूर्ण और द्वि-राष्ट्र समाधान का कार्यान्वयन’ नामक UN सम्मेलन के बाद जारी घोषणापत्र में हमास से सभी बंधकों को रिहा करने, हथियार छोड़ने और गाजा पर अपनी सत्ता छोड़ने का आग्रह किया गया है, ताकि गाजा में चल रहे विनाशकारी युद्ध को समाप्त किया जा सके।


इस दस्तावेज में कहा गया है, “गाजा में युद्ध को समाप्त करने के संदर्भ में, हमास को गाजा में अपना शासन समाप्त करना होगा और अपने हथियार फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपने होंगे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग और समर्थन होगा, ताकि एक संप्रभु और स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का लक्ष्य प्राप्त हो सके।”

न्यूयॉर्क घोषणापत्र: शांति की दिशा में कदम

इसे “न्यूयॉर्क घोषणापत्र” भी कहा जा रहा है। इस दस्तावेज में गाजा में युद्ध को समाप्त करने और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने के लिए एक चरणबद्ध योजना प्रस्तुत की गई है। इस योजना का अंतिम लक्ष्य एक ऐसे स्वतंत्र, बिना हथियारों वाले फिलिस्तीन का निर्माण करना है जो इजरायल के साथ शांति से सह-अस्तित्व में रहे। घोषणापत्र में फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उपाय और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के स्कूल पाठ्यक्रम से उत्तेजक और नफरती कंटेंट को हटाने की मांग भी की गई है, जो कि इजरायल पर भी लागू होती है।

17 देशों, अरब लीग और पूरे यूरोपीय संघ ने इस घोषणापत्र का समर्थन किया है। फ्रांस ने सऊदी अरब के साथ इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। उसने इसे “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व” करार दिया। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने कहा, “पहली बार, अरब और मध्य पूर्व के देशों ने हमास की निंदा की, 7 अक्टूबर की घटना की निंदा की, हमास के हथियार डालने और फिलिस्तीनी शासन से इसके बहिष्कार की मांग की, और भविष्य में इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने की अपनी मंशा स्पष्ट रूप से व्यक्त की।”
इजरायल और अमेरिका का बहिष्कार

इस सम्मेलन का इजरायल और अमेरिका ने बहिष्कार किया। इजरायल की वर्तमान सरकार दो-राष्ट्र समाधान को दृढ़ता से खारिज करती है, और उसने इस सम्मेलन की आलोचना की है। दूसरी ओर, घोषणापत्र में इजरायल से युद्ध समाप्त करने, फिलिस्तीनी देश को स्वीकार करने और ‘वापसी के अधिकार’ को मान्यता देने का आह्वान किया गया है, जो इजरायल के लिहाज से एक विवादास्पद मांग है।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण का समर्थन

फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के प्रधानमंत्री मुहम्मद मुस्तफा ने भी सम्मेलन में अपने संबोधन में हमास से सभी बंधकों को रिहा करने, गाजा पर नियंत्रण छोड़ने और अपने हथियार फिलिस्तीनी सुरक्षा बलों को सौंपने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पीए गाजा में युद्ध के बाद स्थिरता लाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अरब बल के साथ समन्वय करने के लिए तैयार है। हालांकि, इजरायल ने पीए को गाजा में शासन सौंपने की धारणा को लंबे समय से खारिज किया है और वह इसे भी हमास के समान मानता है।
हमास और इजरायल की स्थिति

हमास ने अभी तक इस घोषणापत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। संगठन ने पहले दो-राष्ट्र समाधान को खारिज किया है और इजरायल के पूर्ण विनाश की अपनी नीति को दोहराया है। दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को नष्ट करने की कसम खाई है और गाजा में पीए की भूमिका को स्वीकार करने से इनकार किया है।
भारत ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए समर्थन पुन: दोहराया

भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र के इस उच्च-स्तरीय सम्मेलन में कहा कि वैश्विक प्रयासों को अब ‘‘उद्देश्यपूर्ण संवाद और कूटनीति’’ के माध्यम से इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का द्वि-राष्ट्र समाधान हासिल करने पर केंद्रित होना चाहिए। भारत ने यह भी कहा कि किसी को केवल कागजी समाधानों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक समाधानों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

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