नई दिल्ली। संघ को भाजपा (BJP) के नेताओं के संविधान की प्रस्तावना (Constitutional Preamble) से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द (The words socialism and secularism) को हटाने के अपील के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्बा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने भी मोर्चा खोल दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान सीएम सरमा ने इमरजेंसी के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौर में संविधान में जोड़े गए ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ शब्दों को हटा देना चाहिए, इसके साथ ही आपातकाल की तमाम विरासत को हटाने का सही समय यही है।
भाजपा मुख्यालय में द इमरजेंसी डायरीज नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए सरमा ने संविधान की प्रस्तावना में से इन शब्दों को हटाने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह शब्द कभी भी मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे इसलिए इन्हें हटा दिया जाना चाहिए। क्योंकि धर्मनिरपेक्षता सर्व धर्म समभाव के भारतीय विचार के खिलाफ है.. और समाजवाद कभी भी भारत की मूल आर्थिक दृष्टि का हिस्सा नहीं था।”
पत्रकारों से बात करते हुए असम सीएम ने कहा, “आज हमने इमरजेंसी डायरी नामक पुस्तक का विमोचन किया, जिसमें आपातकाल के दौरान संघर्ष और प्रतिरोध के बारे में बताया गया है। जब हम आपातकाल की बात करते हैं, तो यह उसके बचे हुए प्रभाव को मिटाने का सही समय है, ठीक वैसे ही जैसे प्रधानमंत्री मोदी औपनिवेशिक शासन की विरासत को मिटाने का काम कर रहे हैं। आपातकाल के दो प्रमुख परिणाम हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे शब्दों का जुड़ना था। मेरा मानना है कि धर्मनिरपेक्षता सर्वधर्म समभाव के भारतीय विचार के विरुद्ध है। समाजवाद कभी भी हमारी आर्थिक दृष्टि नहीं रही, हमारा ध्यान हमेशा सर्वोदय अंत्योदय पर रहा है।”
असम सीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि यह शब्द इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल के समय में जोड़े गए थे। इसलिए मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह संविधान में से इन दो शब्दों को हटा दें क्योंकि यह कभी भी मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे।
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