
नई दिल्ली । महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहे भाषा विवाद (Language controversy) के बीच असम (Assam) में भी भाषा को लेकर लड़ाई शुरू हो गई है। एक अल्पसंख्यक छात्र नेता द्वारा असम में जनगणना के दौरान मुस्लिमों से असमिया की जगह पर बंगाली भाषा को अपनी मातृ भाषा लिखने की अपील की गई। छात्र नेता की इस अपील के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने चेतावनी दी है। सीएम ने असमिया भाषा को असम की स्थायी राज भाषा बताते हुए कहा कि किसी को भी भाषा का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के औजार के रूप में नहीं करना चाहिए।
भाषा विवाद के मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “असमिया असम की स्थायी आधिकारिक भाषा है। इसकी संवैधानिक वैधता है। भाषा को ब्लैकमेल करने के हथियार के रूप में नहीं लिया जा सकता। अगर वे असमिया को अपनी मातृभाषा के रूप में सूचीबद्ध नहीं भी करते हैं, तो भी इससे तथ्य नहीं बदलेंगे। हालांकि अगर समुदाय असमिया को अपनी मातृभाषा के रूप में सूचीबद्ध नहीं करता है तो इससे केवल यह पता चलेगा कि राज्य में कितने अवैध विदेशी हैं।”
आपको बता दें यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ था जब ऑल बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल माइनॉरिटी के छात्र यूनियन के नेता मैनुद्दीन अली ने आगामी जनगणना में बंगाली मुस्लिमों को मातृभाषा के रूप में असमिया न लिखने की अपील की थी। उसने कहा कि ऐसा करने पर असम में असमिया बहुसंख्यकों की भाषा नहीं रहेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्र नेता के इस विवादित बयान के बाद ऑल बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल माइनॉरिटी ने उसे पार्टी से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही छात्र नेता ने अपने इस बयान के लिए माफी भी मांग ली है।
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