
नई दिल्ली (New Delhi) । पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (assembly elections) में आदिवासी मतदाता (tribal voters) काफी अहम भूमिका में हैं। राजस्थान (Rajasthan), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ (Chhattisgarh) में आदिवासियों को नजरअंदाज कर कोई भी पार्टी सत्ता तक नहीं पहुंच सकती। यही वजह है कि विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस ने राजस्थान के बांसवाड़ा से चुनाव प्रचार से शुरुआत की है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी शंखनाद किया। क्योंकि, आदिवासी मतदाता राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भी अहम है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल रैली को संबोधित किया था।
राजस्थान विधानसभा में दो सौ सीट हैं। इनमें से आदिवासी मतदाता 28 सीट पर असर डालते हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में 47 सीट पर असर डालते हैं। वहीं, छत्तीसगढ में 39 सीट पर आदिवासी मतदाता असर डालते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ आदिवासी सीट को साधने का प्रयास किया है।
एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को तरजीह दी थी। इसलिए पार्टी को भरोसा है कि पांच राज्यों के चुनाव में भी आदिवासी मतदाता कांग्रेस पर भरोसा जताएगें। इसलिए, पार्टी आदिवासियों का भरोसा जीतने का प्रयास कर रही है।
राजस्थान में आदिवासी प्रभाव वाली 28 सीट हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 11, भाजपा को 14, बीटीपी को 2 और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। मध्य प्रदेश में आदिवासी प्रभाव वाली 47 सीट में कांग्रेस ने 31 सीट जीती थी, जबकि भाजपा सिर्फ 16 मिली थी। छत्तीसगढ की आदिवासी बहुल्य 29 सीट हैं। वर्ष 2018 में कांग्रेस ने 24 सीट पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को चार और एक सीट पर अन्य को मिली थी।
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