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ऑस्ट्रेलिया ने इजराइल को दिया बड़ा झटका, जेरूसलम को राजधानी के तौर पर दी मान्यता वापस ली

October 19, 2022

नई दिल्‍ली । ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने इजराइल (Israel) को बड़ा झटका देते हुए जेरूसलम (Jerusalem) को उसकी आधिकारिक राजधानी के तौर पर दी गई मान्यता खत्म कर दी है। इजराइल की राजधानी के रूप में जेरूसलम को मान्यता देने के पिछली सरकार के फैसले को ऑस्ट्रेलिया ने पलट दिया है। विदेश मंत्री पेनी वोंग (Foreign Minister Penny Wong) ने कहा कि लेबर पार्टी की सरकार ने तेल अवीव को फिर से इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इजराइल और फिलीस्तीन शांति वार्ता के जरिए जेरूसलम के मुद्दे को सुलझाएं।

भड़क गया है इजराइल
इजराइल के प्रधानमंत्री याइर लापिड ने ऑस्ट्रेलिया के बदले हुए रुख पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘जेरूसलम स्थायी रूप से इजराइल की अविभाजित राजधानी है और इसमें कुछ भी नहीं बदलेगा।’ इजराइल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई राजदूत को तलब करेगा। वरिष्ठ फिलीस्तीनी अधिकारी हुसैन अल-शेख ने ऑस्ट्रेलिया के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह इस बात की पुष्टि है कि जेरूसलम से संबंधित संप्रभुता का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय वैधता पर आधारित स्थायी समाधान पर निर्भर करता है।


2018 में दी थी मान्यता
ऑस्ट्रेलिया की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने औपचारिक रूप से दिसंबर 2018 में जेरूसलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी, हालांकि ऑस्ट्रेलियाई दूतावास तेल अवीव में ही रहा। इजराइल को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर 2017 में जेरूसलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी थी। इसके बाद कई और देशों ने अमेरिका का अनुसरण किया था और जेरूसलम को इजराइल की राजधानी बताया था।

फिलिस्तीन का भी है दावा
एक तरफ जहां इजराइल जेरूसलम को अपनी राजधानी बताता है, वहीं दूसरी तरफ फिलिस्तीन के लोग भी इसे अपनी राजधानी मानते हैं। संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे जेरूसलम पर इजराइल के दावे को मान्यता नहीं देते, हालांकि ट्रंप के फैसले के बाद कई देशों ने अपना मन बदला था। 1948 में इजराइल ने आजादी का ऐलान किया था और एक साल बाद जेरूसलम का बंटवारा हुआ था। बाद में 1967 में इजराइल ने 6 दिनों तक चले युद्ध (Six Day War) के बाद पूर्वी जेरूसलम पर कब्जा कर लिया।

क्यों खास है जेरूसलम?
बता दें कि भूमध्य सागर और मृत सागर से घिरे जेरूसलम को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्मों के लोग पवित्र मानते हैं। जेरूसलम में स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पाक मानते हैं। मुसलमानों का मानना है कि अल-अक्सा मस्जिद ही वह जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत पहुंचे थे। वहीं, कई ईसाई मानते हैं कि जेरूसलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था और वे यहां स्थित सपुखर चर्च को बहुत पवित्र मानते हैं।

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