
डेस्क: प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के द्विपीय देश तुवालु (Tuvalu) की पूरी आबादी को ऑस्ट्रेलिया (Australia) में माइग्रेट करना पड़ रहा है. ऐसा पहली बार होगा जब किसी देश की पूरी आबादी का योजनाबद्ध तरीके से माइग्रेशन हो रहा है. बढ़ते समुद्र स्तर की वजह से तुवालु जलमग्न होने की कगार पर है इसलिए लोगों को अपना जीवन बचाने के लिए पलायन करना पड़ रहा है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के साथ तुवालु का एक समझौता हुआ है, जिसके तहत तुवालु के लोग ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस सकेंगे.
साल 2023 में तुवालु और ऑस्ट्रेलिया के बीच फेलेपी यूनियन ट्रीटी हुई थी, जिसके तहत क्लामेट माइग्रेशन प्रोग्राम बनाया जा रहा है. इसके तहत हर साल तुवालु के 280 नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया का स्थाई नागरिक बनाया जाएगा. इसके साथ उन्हें हेल्थ केयर, शिक्षा, घर और नौकरी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी. इसका पहला चरण 16 जून से 18 जुलाई के बीच पूरा कर लिया गया है. तुवालु स्थित ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने बताया कि लोग काफी रुचि दिखा रहे हैं और अब तक 8,750 रजिस्ट्रेशन हुए हैं.
तुवालु प्रशांत महासागर का एक छोटा सा द्विपीय देश है, जिसमें नौ कोरल आईलैंड और अटॉल्स हैं. अटॉल रिंग शेप आईलैंड होते हैं. यह देश समुद्र से सिर्फ 16 फीट की ऊंचाई पर है, जिसके चलते यहां जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और समुद्री तूफानी लहरों का खतरा रहता है और यह समुद्र के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. यहां की आबादी 11 हजार से बस थोड़ी ज्यादा है.
तुवालु पृथ्वी के सबसे अधिक जलवायु संकटग्रस्त स्थानों में एक है. वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि यह देश आने वाले 80 सालों में पूरी तरह से निर्जन हो जाएगा. रिपोर्ट्स के अनुसार इसके नौ कोरल अटॉल में से दो जलमग्न हो चुके हैं. तुवालु के प्रधानमंत्री फेलेती तियो ने दुनियाभर के देशों से देश की स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह किया है और बढ़ते समुद्र स्तर का सामना कर रहे देशों के अधिकारों की रक्षा के लिए नई अंतरराष्ट्रीय संधि बनाने को भी कहा है.
नासा की सी लेवल चेंज टीम ने भी तुवालु को लेकर कुछ निष्कर्ष निकाले हैं और उनका कहना है कि साल 2023 में यहां पानी का स्तर पिछले 30 सालों की तुलना में 15 सेंटीमीटर ज्यादा हो गया था. अगर इसी दर से समुद्र का स्तर बढ़ता रहा तो 2050 तक यहां की पूरी जमीन पानी में समा जाएगी और सभी बुनायदी ढांचों को भी समुद्र अपने अंदर समा लेगा.
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