
इंदौर। जोर-शोर से पिछले दिनों उज्जैन के साथ इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपने बड़े व्यावसायिक सुपर कॉरिडोर के 11 भूखंडों की मार्केटिंग की थी और शहर के जाने-माने बिल्डर-कालोनाइजर, इन्वेस्टर्स को भी होटल मैरिएट में बुलाया। मगर एक ने भी इन भूखंडों को खरीदने में कोई रुचि नहीं दिखाई और प्राधिकरण को एक भी टेंडर नहीं मिला। होटल, हॉस्पिटल, स्कूल या आईटी बिल्डिंग के लिए इन भूखंडों के टेंडर जारी किए गए थे और भूखंडों का आकार एक लाख से लेकर दो लाख स्क्वेयर फीट तक था। सुपर कॉरिडोर की योजना 151 और 169बी में ये भूखंड मौजूद हैं।
पिछले दिनों ग्रोथ कॉन्क्लेव का आयोजन भी किया गया और अभी 14 दिसम्बर को भी फ्यूचर रेडी और आईटी एंटिग्रेटेड सिटी से जुड़ी बैठक आयोजित हो सकती है। रियल इस्टेट के जानकारों का कहना है कि अभी बाजारों में उतनी तेजी नहीं है, जिसके परिणाम स्वरूप प्राधिकरण को भी अपने भूखंडों को बेचने में दिक्कतें आ रही है। उज्जैन विकास प्राधिकरणों ने 22 भूखंडों की मार्केटिंग की और उसके साथ ही इंदौर विकास प्राधिकरण ने 11 भूखंडों के लिए प्री-बीड की तर्ज पर आयोजित किया, जिसमें पर्यटन विभाग के उपसचिव भी मौजूद रहे। इसमें इंदौर के भी कई जाने-माने बिल्डरों, डेवलपरों को बुलाया और उन्हें इन 11 व्यावसायिक भूखंडों की जानकारी दी गई।
होटल मैरिएट में इंदौर-उज्जैन प्राधिकरणों ने संयुक्त रूप से अपने इन भूखंडों की मार्केटिंग की। मगर प्राधिकरण को एक भी टेंडर इन भूखंडों के लिए प्राप्त नहीं हुआ। योजना 151 और 169-बी के सेक्टर बी, सी, डी में मौजूद इन भूखंडों का आकार भी अधिक है और इनकी मार्केटिंग विशेष रूप से होटल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। हालांकि इंदौर में कई बड़े समूहों की होटलें आ भी रही हैं। प्राधिकरण द्वारा सुपर कॉरिडोर को इंदौर के ग्रोथ कॉरिडोर के रूप में भी प्रचारित किया गया, जहां पर व्यावसायिक, शैक्षणिक, होटल, हॉस्पिटल, आईटी सहित कई अन्य गतिविधियां आ सकती हैं। यहीं पर प्राधिकरण भी स्टार्टअप पार्क और कन्वेंशन सेंटर जैसे अपने दो बड़े प्रोजेक्ट भी ला रहा है।
मगर प्राधिकरण की सम्पदा शाखा भी इस बात पर भौंचक है कि एक भी भूखंड के लिए टेंडर प्राप्त नहीं हुए। अलबत्ता उसी समय योजना 140 के एक बड़े भूखंड के लिए अवश्य प्राधिकरण को 130 करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर मिला, जो बोर्ड ने मंजूर भी किया। यह भी उल्लेखनीय है कि मास्टरप्लान में लगभग 19 तरह की गतिविधियां स्वीकार है, जिसके चलते व्यावसायिक उपयोग के भूखंडों पर होटल, हॉस्पिटल, शैक्षणिक गतिविधियों से लेकर आईटी बिल्डिंगें या अन्य तरह के उपयोग किए जा सकते हैं। हालांकि पूर्व में भी प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर के कई भूखंड अच्छी कीमत पर बेचे हैं, तो उसके अलावा निजी जमीन मालिकों, किसानों के साथ जो अनुबंध किए उसमें भी उन्हें विकसित भूखंड आवंटित किए गए हैं और इन भूखंडों की भी बाजारों में खरीद-फरोख्त होती रही है।
चूंकि सुपर कॉरिडोर पर अभी अधिक हलचल नहीं है, लेकिन आने वाले समय में जब मेट्रो का संचालन पूरी तरह से शुरू हो जाएगा तब अवश्य चहल-पहल बढ़ेगी, क्योंकि कई निजी बिल्डरों-कालोनाइजरों ने भी सुपर कॉरिडोर पर टाउनशिप सहित अन्य प्रोजेक्ट शुरू कर रखे हैं। एक तरफ प्राधिकरण को भले ही सुपर कॉरिडोर के इन 11 भूखंडों को बेचने में सफलता ना मिल सकी हो, मगर योजना 140 के आवासीय सवाणिज्यिक उपयोग के लगभग 60 हजार स्क्वेयर फीट के भूखंड के लिए अवश्य उसे 2 लाख 27 हजार 700 रुपए प्रति वर्गमीटर का टेंडर मिला। हालांकि पूर्व में सिंगल टेंडर बोर्ड बैठक के दौरान तत्कालीन कलेक्टर ने नामंजूर करवा दिया था। मगर दूसरी बार भी जब इसी भूखंड के लिए सिंगल टेंडर उसी कम्पनी राजश्री पॉवर एंड इस्पात प्रा.लि. तर्फे विनोद कुमार जैन व अन्य ने भरा तो इस सिंगल टेंडर को बोर्ड को मंजूर करना पड़ा, क्योंकि तीसरी बार प्राधिकरण ने ये टेंडर बुलाए थे और फिर जब दूसरी बार भी सिंगल टेंडर आया तो मंजूर करना पड़ा, जबकि जो टेंडर प्राधिकरण ने निरस्त किया था और बाद में मंजूर किया उसमें मात्र 49 रुपए प्रति वर्गमीटर का ही अधिक रेट मिला।
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