
नई दिल्ली । बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को संकेत दिया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को भारत (India) से प्रत्यर्पित कराने की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रही है। यह बयान विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन (Mohammed Tauheed Hussain) ने दिया, जो नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी वर्तमान अंतरिम सरकार का हिस्सा हैं। तौहीद हुसैन ने कहा, “हमने भारत को एक पत्र भेजा है। आवश्यकता पड़ी तो आगे भी इसका अनुसरण किया जाएगा।”
शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को देशभर में छात्र आंदोलन के चलते सत्ता से बाहर कर दिया गया था। तब से वे भारत में शरण ली हुई हैं। बुधवार को बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना को अवमानना के एक मामले में छह महीने की सजा सुनाई। यह फैसला न्यायमूर्ति गोलाम मुर्तुजा माजुमदर के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया। अदालत ने शेख हसीना और अवामी लीग नेता शकील आलम बुलबुल के खिलाफ 30 अप्रैल को दायर अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया।
वायरल ऑडियो बना सबूत
मामले में एक वायरल ऑडियो क्लिप में शेख हसीना को कथित रूप से कहते हुए सुना गया, “मेरे खिलाफ 227 मामले हैं, तो मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिला हुआ है।”
बाद में CID द्वारा की गई फॉरेंसिक जांच में ऑडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि हुई। शेख हसीना न तो व्यक्तिगत रूप से पेश हुईं और न ही किसी वकील के माध्यम से जवाब दिया, इसके बावजूद अदालत ने उन्हें दोषी माना।
प्रॉसिक्यूशन ने दावा किया कि शेख हसीना ही 2024 के जनविद्रोह के दौरान देशभर में की गई हत्या, आगजनी और मानवता के खिलाफ अपराधों की सूत्रधार थीं। इन घटनाओं को उनके आदेश पर अंजाम दिया गया, यह भी आरोप में शामिल है।
अवामी लीग का पलटवार
पूर्व सत्ताधारी पार्टी अवामी लीग ने फैसले को “कंगारू कोर्ट” का फैसला बताते हुए निंदा की और कहा, “यह राजनीतिक प्रतिशोध है। यह एक नकली मुकदमा था जिसे राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा एक एजेंडा के तहत चलाया गया।”
भारत में शेख हसीना के शरण पर आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि, बांग्लादेश की ओर से औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद भारत को यह तय करना होगा कि वह इसे कानूनी और कूटनीतिक दृष्टिकोण से कैसे संभालता है।
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