
नई दिल्ली: बांग्लादेश सरकार (Bangladesh Government) ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी (Jamaat-e-Islami Party) पर से प्रतिबंध हटा दिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने शासन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान उस पर प्रतिबंध लगा दिया था. हसीना सरकार ने पार्टी को ‘उग्रवादी और आतंकवादी’ संगठन बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था और उसकी छात्र इकाई और अन्य संबद्ध संगठनों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर आंदोलन भड़काने का दोषी ठहराया था.
संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, हिंसक विरोध प्रदर्शनों और हसीना सरकार की कार्रवाई में 600 से अधिक लोग मारे गए. गृह मंत्रालय ने बुधवार को पार्टी पर से प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उसे अपनी गतिविधियां फिर शुरू करने का रास्ता मिल गया. चुनाव लड़ने के लिए उसे निर्वाचन आयोग में रजिस्टर्ड कराना होगा.
पार्टी के नेतृत्व की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जमात-ए-इस्लामी पर 2013 से चुनावों में भाग लेने पर रोक है, जब आयोग ने उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था और हाई कोर्ट ने इस निर्णय को बरकरार रखा था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता का विरोध करके संविधान का उल्लंघन किया है.
बांग्लादेश के विधि मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि हसीना सरकार का प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित था और किसी विचारधारा पर आधारित नहीं था. हसीना की प्रतिद्वंद्वी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भी प्रतिबंध के लिए पूर्ववर्ती सरकार को दोषी ठहराया.
बांग्लादेश की केयरटेकर सरकार ने अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (ABT) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है. इस रिहाई से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती है, जहां आतंकवादी समूह स्लीपर सेल्स की मदद से जिहादी नेटवर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. जशीमुद्दीन रहमानी को सोमवार को पैरोल पर रिहा किया गया. वह ब्लॉगर राजीब हैदर की हत्या के मामले में जेल में बंद था. उसे गाजिपुर के काशीपुर हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल में रखा गया था. वह बांग्लादेश के आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत आरोपों का सामना भी कर रहा था.
भारत में उसके नेतृत्व वाले संगठन से जुड़े कई आतंकियों को पहले गिरफ्तार किया गया है. इसी साल मई में, असम पुलिस ने गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर ABT से जुड़े दो आतंकियों, बहार मिया और रेयरली मिया को गिरफ्तार किया था. ABT, अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) का एक सहायक संगठन है, जो भारत में प्रतिबंधित है.
15 फरवरी 2013 को राजीब हैदर की हत्या के लिए उसे पांच साल की सजा सुनाई गई थी. हैदर को ढाका में उनके घर के सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद रहमानी को अगस्त 2013 में गिरफ्तार कर लिया गया था. ABT को 2015 में शेख हसीना की सरकार के दौरान बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था.
बाद में, इसने अपने आप को अंसार अल-इस्लाम के रूप में दोबारा ब्रांडिंग की, जिसे 2017 में फिर से प्रतिबंधित कर दिया गया था. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने ABT के साथ मिलकर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए साझेदारी की थी.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved