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क्रेडिट कार्ड देने के लिए बैंक क्‍यों लगाते हैं बार-बार फोन, क्‍या होता है फायदा या कोई ट्रैप तो नहीं?

March 14, 2025

नई दिल्ली । भारत (India) में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का चलन तेजी से बढ़ रहा है. क्रेडिट कार्ड का मतलब है कि यूजर के हाथ में एक ऐसा कार्ड, जिससे वह बाजार (Market) में कहीं से भी उधार में कुछ भी उठा सकता है. भुगतान के लिए लगभग 45 दिनों का समय मिलता है. समय पर भुगतान करने पर कैशबैक और रिवार्ड मिलते हैं, लेकिन इससे बैंकों का क्या फायदा? यह सवाल तो आपके भी जेहन में आता होगा. चलिए इसी पर एक नजर डालते हैं.

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 की शुरुआत तक देश में 11 करोड़ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड जारी हो चुके हैं. यह ग्रोथ बैंकों के लिए एक लाभदायक बिजनेस मॉडल पर आधारित है, जो ब्याज दरों, शुल्क और बिजनेस से प्राप्त होने वाली फीस से मुनाफा कमाता है. क्रेडिट कार्ड बैंकों के लिए न केवल आय का स्थिर स्रोत है, बल्कि यह ग्राहकों की संख्या बढ़ाने और उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने का भी जरिया है.

क्रेडिट कार्ड से बैंक कैसे कमाते हैं?
बैंक क्रेडिट कार्ड से कई तरह से कमाई करते हैं. जैसे, यदि आप समय पर बिल नहीं चुकाते हैं, तो बैंक आपसे ऊंची ब्याज दर वसूलते हैं. इसके अलावा, वार्षिक शुल्क, कार्ड को फिर से जारी करने का शुल्क, और व्यापारियों से ली जाने वाली इंटरचेंज फीस भी बैंकों की आय का मुख्य स्रोत है. इंटरचेंज फीस वह राशि है जो व्यापारी हर लेन-देन पर बैंक को देता है. यही कारण है कि भारत में बैंक क्रेडिट कार्ड को तेजी से फैलाने का काम कर रहे हैं.

यूजर्स को कैसे अपनी तरफ खींचते हैं क्रेडिट कार्ड?
क्रेडिट कार्ड यूजर्स को कई लाभ देते हैं, जैसे कि रिवॉर्ड स्कीम, कैशबैक, यात्रा पर छूट, और क्रेडिट स्कोर बनाने का मौका. आजकल कई भारतीय क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके अपना क्रेडिट हिस्ट्री बना रहे हैं, जो भविष्य में लोन लेने के लिए जरूरी है. यदि आप नियमित रूप से बिल चुकाते हैं, तो यह आपकी क्रेडिट योग्यता को बेहतर बनाता है.


रिवॉर्ड स्कीम जैसे कैशबैक और लॉयल्टी पॉइंट्स ग्राहकों को बार-बार खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हालांकि, क्रेडिट कार्ड के दुरुपयोग के मामले बढ़ने के साथ आरबीआई और बैंक इनके नियमों को सख्त कर रहे हैं, ताकि इस व्यवसाय को लंबे समय तक चलाया जा सके.

चुनौतियां और नियामक ढांचा
क्रेडिट कार्ड के बढ़ते उपयोग के साथ बैंकों को धोखाधड़ी और निगरानी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित ऋणों पर जोखिम को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसके कारण बैंकों को उपभोक्ता ऋण कम करने और जमा वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

भारतीय क्रेडिट कार्ड बाजार के विस्तार के साथ, बैंकों को अपनी रणनीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि वे जोखिम के बिना आगे बढ़ सकें. 2025 में, फीस और रिवॉर्ड स्कीम तेजी से विकसित हो रही हैं, जिसके कारण ग्राहकों को अपने खर्च को समझदारी से प्रबंधित करने की आवश्यकता है.

एक यूजर को क्या देखना चाहिए?
क्रेडिट कार्ड यूजर्स को बैंकों के बिजनेस मॉडल को समझना चाहिए और सही निर्णय लेना चाहिए. एचडीएफसी बैंक, एसबीआई, बजाज फाइनेंस और आईसीआईसीआई बैंक जैसे बड़े बैंकों के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो का तेजी से विस्तार हो रहा है, जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है. डिजिटल भुगतान और फिनटेक तकनीकों का विकास भी इस उद्योग को बदल रहा है.

बैंक ग्राहक अनुभव और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहे हैं, जिससे क्रेडिट कार्ड अधिक लोगों के लिए आकर्षक बन रहे हैं. बैंक-फिनटेक साझेदारी भी बढ़ रही है, जो ग्राहकों को अधिक सुविधाजनक सेवाएं प्रदान कर रही है.

अंत में, क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों को समझने के लिए सर्टीफाइड वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करना जरूरी है. यह आपको ऋण उत्पादों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा.

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