
डेस्क: 2020 में हुए दिल्ली दंगों (Delhi Riots) की साजिश के आरोप में UAPA कानून के तहत जेल बंद एक्टिविस्ट उमर खालिद (Activist Umar Khalid) ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट (Trial Court) को बताया कि उनके खिलाफ बयान दर्ज करने का समय बेहद संदिग्ध था, क्योंकि जब दंगे हुए तब वह जेल के अंदर थे. उमर खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अदालत से कहा, “अगर आपके पास सिर्फ बयान ही होंगे, तो मामला कहां जाएगा? यह पिछले पांच सालों से जिस तरह से चल रहा है, वैसा ही रहेगा. क्या हम अल्फा, बीटा और गामा को लेकर उनसे पूछताछ करेंगे?”
उमर खालिद के वकील ने कहा कि मुवक्किल के खिलाफ कोई बरामदगी या कोई फिजिकल सबूत नहीं मिले हैं. उमर खालिद ने कहा, “2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में 751 FIR दर्ज हैं. मैं एक (बड़ी साजिश के मामले) को छोड़कर किसी में भी आरोपी नहीं हूं.”
बता दें कि उमर के खिलाफ एक गवाह के बयान के आधार पर 8 दिसंबर, 2019 को जंगपुरा में एक बैठक में शामिल होने का आरोप है, जहां 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में एक कथित साजिश पर चर्चा की गई थी. यह बैठक जंगपुरा में हुई थी. इसमें सिर्फ दो लोगों को आरोपी बनाया गया है और बैठक में शामिल हुए अन्य लोगों का नाम नहीं है? वकील ने पूछा अगर आप कहते हैं कि यह बैठक मुख्य साजिश वाली बैठक थी, तो बयान लेने में आपको इतना समय क्यों लगा?
खालिद के वकील ने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि अगर आपके पास सबूत हैं तो आप FIR दर्ज नहीं कर सकते. लेकिन आपने मेरा नाम लिया है और इसे साजिश बताया है. आपने FIR के लगभग छह महीने बाद और दिसंबर की बैठक के 11 महीने बाद बयान दर्ज किए हैं.”
उमर के वकील ने कहा कि कहा कि उमर ने दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप व्हाट्सएप ग्रुप में सिर्फ तीन संदेश भेजे थे, जो कथित तौर पर साजिश का शुरुआती बिंदु था. बता दें, बहस 28 और 29 अक्टूबर को जारी रहेगी. पिछले महीने खालिद के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल ने पांच साल हिरासत में बिताए, जिसे उन्होंने एक मजाक भरी FIR कहा, जिसमें कानून की पवित्रता नहीं थी.
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