img-fluid

भिखारी पति को दूसरा-तीसरा निकाह करने का हक नहीं, HC का बड़ा फैसला; जानिए पूरा मामला क्या है?

September 21, 2025

नई दिल्‍ली । केरल हाई कोर्ट(Kerala High Court) ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी (Important note)में कहा है कि यदि कोई मुस्लिम पुरुष(Muslim men) अपनी पत्नियों का भरण-पोषण(maintenance of wives) करने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और उसकी पत्नी अदालत में गुजारा भत्ता(alimony) मांगने के लिए पहुंचती है, तो ऐसी स्थिति में उस पुरुष के एक से अधिक विवाह को स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने एक 39 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। महिला पेरिंथलमन्ना की रहने वाली है और अपने पति से 10,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता मांग रही थी। महिला का 46 वर्षीय पति पलक्कड़ के कुम्बदी का निवासी है और भीख मांगकर अपना गुजारा करता है।


पूरा मामला समझिए

इससे पहले, याचिकाकर्ता ने फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता की मांग की थी, लेकिन फैमिली कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि एक भिखारी को गुजारा भत्ता देने का आदेश नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने इस मामले में व्यंग्यात्मक लहजे में एक मलयालम कहावत का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है, “भीख के कटोरे में हाथ न डालें।”

पत्नी का आरोप है कि अंधे और भिखारी होने के बावजूद उसका पति उसे धमकी देता है कि वह जल्द ही तीसरी शादी करेगा। इस शख्स की एक और पत्नी है। याचिकाकर्ता उसकी दूसरी पत्नी है। कोर्ट ने पाया कि पत्नी के अनुसार पति भीख मांगने के अलावा अन्य साधनों से लगभग 25,000 रुपये प्रतिमाह कमा रहा है, लेकिन फिर भी वह गुजारा भत्ता देने में आनाकानी कर रहा है। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि पति न तो संत है और न ही जिम्मेदार। अदालत ने यह भी जिक्र किया कि याचिकाकर्ता का यह दावा कि उसका नेत्रहीन पति उसे नियमित रूप से मारता-पीटता है, विश्वास करने योग्य नहीं लगता।

मुस्लिम प्रथागत कानून पर टिप्पणी

जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता का पति मुस्लिम समुदाय से है और वह धार्मिक कानून का लाभ उठाकर एक से अधिक विवाह करने का दावा करता है, लेकिन ऐसा व्यक्ति जो अपनी दूसरी या तीसरी पत्नी का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है, उसे दोबारा विवाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा, “ऐसे व्यक्ति का एक के बाद एक विवाह करना, जबकि वह केवल एक भिखारी है, यह मुस्लिम प्रथागत कानून के तहत भी स्वीकार्य नहीं है।”

कुरान के संदर्भ और एक पत्नी पर जोर

अदालत ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि पवित्र पुस्तक भी एकपत्नीत्व को प्रोत्साहित करती है और एक के ज्यादा पत्नियों को केवल एक अपवाद के रूप में मानती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पहली, दूसरी, तीसरी या चौथी पत्नी के साथ न्याय कर सकता है, तभी उसे एक से अधिक विवाह करने की अनुमति है। अदालत ने यह भी कहा कि अधिकांश मुस्लिम एक पत्नी रखते हैं, जो कुरान की वास्तविक भावना को दर्शाता है, जबकि केवल एक छोटा समूह ही है जो एक के ज्यादा पत्नी रखता है, जो कुरान की आयतों को भूल जाता है।

शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता

अदालत ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में इस तरह के विवाह शिक्षा की कमी और प्रथागत कानून के बारे में अज्ञानता के कारण होते हैं। अदालत ने धार्मिक नेताओं और समाज से अपील की कि वे इस समुदाय को शिक्षित करें ताकि बहुपत्नीत्व की प्रथा पर अंकुश लगाया जा सके।

भीख मांगने को आजीविका नहीं माना जा सकता

अदालत ने याचिकाकर्ता के पति की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भीख मांगना आजीविका का साधन नहीं माना जा सकता। यह राज्य, समाज और न्यायपालिका का कर्तव्य है कि कोई भी व्यक्ति भीख मांगने के लिए मजबूर न हो। अदालत ने जोर देकर कहा कि राज्य को ऐसे व्यक्तियों को भोजन और कपड़े उपलब्ध कराने चाहिए।

राज्य को परामर्श और सहायता का निर्देश

अदालत ने अपने आदेश की एक प्रति सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को भेजने का निर्देश दिया ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति को सक्षम परामर्शदाताओं, जिसमें धार्मिक नेता शामिल हों, के माध्यम से परामर्श दिया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय में बहुपत्नीत्व की शिकार महिलाओं की सुरक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।

गुजारा भत्ता पर फैसला

गुजारा भत्ता की मांग के संबंध में, हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के रुख को दोहराया और कहा कि एक भिखारी को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश नहीं दिया जा सकता। हालांकि, अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नियों को भोजन और कपड़े उपलब्ध कराए जाएं। अदालत ने श्री नारायण गुरु के ‘दैवदशकम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई नेत्रहीन व्यक्ति मस्जिद के सामने भीख मांगकर एक के बाद एक शादी करता है, और उसे मुस्लिम प्रथागत कानून के मूल सिद्धांतों की जानकारी नहीं है, तो उसे उचित परामर्श दिया जाना चाहिए। यह फैसला न केवल इस मामले में महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक सुधार और मुस्लिम समुदाय में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी एक कदम है।

Share:

  • यहां छिपा हजारों साल पुराना इतिहास? पूम्पुहार में समुद्र के अंदर खुदाई कर रहा तमिलनाडु, जानें

    Sun Sep 21 , 2025
    नई दिल्‍ली । कीझाडी के बाद अब तमिलनाडु(Tamil Nadu) के पूम्पुहार में समुद्र तल(Sea level at Poompuhar) की खुदाई शुरू हो गई है। यह खुदाई प्राचीन तमिल सभ्यता (Ancient Tamil Civilization)की गौरवशाली विरासत(glorious heritage) को दुनिया के सामने लाएगी। यह अभियान 19 सितंबर को तमिलनाडु पुरातत्व विभाग और इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के सहयोग से शुरू […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved