
नई दिल्ली । पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) के करीब 13 हजार करोड रुपए की धोखाधड़ी के मामले (Fraud case) में मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। शुक्रवार को बेल्जियम की एक अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दे दिया है। वहीं अदालत ने बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा उसकी गिरफ्तारी को भी वैध करार दिया गया है।
इस मामले से परिचित एक अधिकारी के मुताबिक चौकसी को भारत लाने की दिशा में यह एक अहम कदम है। अधिकारी ने बताया, “मेहुल चौकसी के पास अभी भी उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है। इसका मतलब है कि उसे अभी तुरंत नहीं लाया जा सकता है, लेकिन पहला और एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है।”
चार महीने पहले हुआ था गिरफ्तार
इससे पहले एंटवर्प की अदालत ने शुक्रवार को भारत की ओर से बेल्जियम के अभियोजकों और चौकसी का पक्ष सुना और फैसला सुनाया कि उसकी गिरफ्तारी और भारत का प्रत्यर्पण अनुरोध पूरी तरह वैध है। बता दें कि 65 वर्षीय चौकसी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस ने गिरफ्तार किया था और वह चार महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद है।
जमानत की अर्जी खारिज
चौकसी धोखाधड़ी करके एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया था और घोटाले का खुलासा होने से महीनों पहले उसने वहां की नागरिकता ले ली थी। अपनी गिरफ्तारी के बाद चौकसी ने बेल्जियम की अलग अलग अदालतों में जमानत की अर्जी भी दी, लेकिन यह कोशिशें कामयाब नहीं हुई हैं।
भारत ने दी थी जेल की डीटेल
इस बीच बीते सप्ताह भारत ने बेल्जियम के अधिकारियों को प्रत्यर्पण से जुड़ी पूरी जानकारी दी थी। गृह मंत्रालय ने बताया था कि अगर मेहुल चौकसी को वहां से प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 में रखा जाएगा और उसकी कोठरी में न तो भीड़भाड़ होगी और न ही एकांतता। मंत्रालय ने कहा कि उसकी कोठरी में कम से कम एक और अपराधी को रखा जा सकता है।
गृह मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति के जरिए बेल्जियम के अधिकारियों को सूचित किया कि जेल के बैरक संख्या 12 में हर कैदी के लिए रहने का स्थान यूरोप के नियमों के अनुरूप है। बेल्जियम के अधिकारियों को भेजा गया गृह मंत्रालय का पत्र महाराष्ट्र जेल विभाग से प्राप्त विवरण पर आधारित है, जिसमें चौकसी के प्रत्यर्पण की स्थिति में उसे रखने की व्यवस्था के बारे में बताया गया है। इसके जरिए बेल्जियम के अधिकारियों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की गई है कि जेल की व्यवस्था यूरोपीय मानकों के अनुरूप है।
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