
नई दिल्ली । महाराष्ट्र सरकार(Maharashtra Government) ने अपनी महत्वाकांक्षी लाडकी बहिण योजना (girl sister scheme)के तहत उन महिलाओं की पहचान (Identity of women)करना शुरू कर दिया है जिन्होंने इस योजना का लाभ लिया है। सरकार ऐसे लाभार्थियों की पहचान करने जा रही है जिनके पास चौपहिया वाहन है, इसके बावजूद उन्होंने इस योजना का लाभ लिया है। आपको बता दें कि इस योजना के तहत सरकार उन महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये प्रदान करती है, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है और जिनके परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है।
इस योजना की यह भी शर्त है कि लाभार्थियों के पास चौपहिया वाहन नहीं होना चाहिए और वे किसी अन्य सरकारी योजना से मासिक सहायता नहीं प्राप्त कर रहे होने चाहिए। पुणे के अधिकारियों के अनुसार, अकेले पुणे जिले से 21 लाख से अधिक महिलाएं इस योजना का लाभ उठा चुकी हैं।
कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) ने सरकार के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है और इसे महिलाओं का अपमान करार दिया है। विपक्ष ने इसे धोखाधड़ी की तरह बताया है।
पुणे जिला परिषद के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी जामसिंह गिरसे ने कहा, “हम महिलाओं की योग्यका को रद्द करने की प्रक्रिया ही लागू करेंगे। इसके अलावा न तो कोई जांच की जाएगी और न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया जाएगा।” गिरसे ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकारी घर-घर जाकर इसका सत्यापन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “हमने आरटीओ से ऐसी महिलाओं की सूची मांगी है। हम उसी सूची के आधार पर कार्य करेंगे। यह प्रक्रिया लगभग एक महीने में पूरी हो सकती है।”
इस बीच पिंपरी-चिंचवड के इंद्रायणी नगर क्षेत्र की एक महिला लाभार्थी ने कहा कि भले ही उसके पास एक चौपहिया वाहन है, लेकिन वह यह वाहन 10 साल पहले खरीदी थी। उन्होंने कहा, “मैंने तीन साल पहले अपनी नौकरी खो दी थी। अब मुझे कोई वेतन नहीं मिलता है। लेकिन मेरे पास एक चौपहिया वाहन है जो मैंने जब नौकरी करते वक्त खरीदी थी तो मैं क्या करूं?” इस पर गिरसे ने कहा, “सरकारी निर्देशों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के नाम पर चौपहिया वाहन है तो वह योजना से बाहर हो जाएंगे।”
पुणे शहर कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने सरकार के इस कदम को “अमानवीय” और “महिलाओं का अपमान” बताया। उन्होंने कहा, “कुछ महिलाओं के पास चौपहिया वाहन हो सकता है। कई ने ये वाहन कोविड-19 महामारी से पहले खरीदे थे। महामारी के दौरान कई पुणेवासियों की नौकरियां चली गईं। वे अपनी ईएमआई तक चुकता करने की स्थिति में नहीं थे। कुछ अब भी नौकरी की तलाश में हैं। अगर ऐसे व्यक्ति के पास अब भी एक कार है लेकिन वे बेरोजगार हैं, तो क्या सरकार उन्हें अयोग्य ठहराएगी? यह केवल सरकार की अमानवीय और महिलाओं के प्रति अपमानजनक मानसिकता को दर्शाता है।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा, “मैं यह फिर से कहना चाहता हूं कि ऐसा कदम महाराष्ट्र की महिलाओं के साथ सीधा धोखा होगा। पहले महायुति सरकार ने महिलाओं के वोट हासिल करने के लिए उन्हें मासिक सहायता का वादा किया, अब सत्ता में आने के बाद वे महिलाओं से यह लाभ छीनना चाहते हैं। यह खुलेआम धोखाधड़ी के सिवा कुछ नहीं है।”
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