
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर को लेकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में ठनी हुई है। ओडिशा के श्रद्धालु और पुजारी दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर के नाम को लेकर आपत्ति जता रहे हैं। जब इसे लेकर भाजपा नेता दिलीप घोष की प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने ममता बनर्जी पर इसका ठीकरा फोड़ दिया। उल्लेखनीय है कि दीघा में बने मंदिर को पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर ही बनाया गया है और उसका नाम भी जगन्नाथ मंदिर ही रखा गया है, इस पर ओडिशा के लोगों ने आपत्ति जताई है। ओडिशा के लोगों का कहना है कि जगन्नाथ मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है, ऐसे में एक जैसे नाम से लोगों में भ्रम की स्थिति बन सकती है।
दिलीप घोष ने कहा कि ‘ममता बनर्जी सोच विचार नहीं करती हैं। वे बस मनमाने तरीके से नामकरण करती हैं। इसका आस्था पर कोई असर नहीं पड़ता। ओडिशा के लोगों को सीएम ममता बनर्जी को पत्र लिखना चाहिए। उन्होंने ही जय बांग्ला का नारा दिया था, जिसका बांग्लादेश के लोगों ने यह कहकर विरोध किया था कि यह उनका नारा है। वे (ममता बनर्जी) सिर्फ गलत काम करती हैं। ये लोगों से जुड़ा मसला नहीं है। लोग तो बस सभी मंदिर जाना चाहते हैं।’
आरोप है कि पुरी के कुछ सेवकों ने दीघा के जगन्नाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया था और दीघा मंदिर की मूर्तियां बनाने के लिए 2015 के ‘नवकलेवर’ (नए रूप) से बची हुई ‘नीम’ की लकड़ी का इस्तेमाल किया था। इस विवाद हो गया है और ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन से इस मामले की जांच करने को कहा। ‘नवकलेवर’ प्रत्येक 12 या 19 वर्ष पर आयोजित होने वाला एक अनुष्ठान है, जिसके दौरान पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्तियां बदली जाती हैं।
इसके अलावा, पुजारियों, भक्तों, विद्वानों और पंडितों के एक वर्ग ने दीघा मंदिर से ‘जगन्नाथ धाम’ शब्द हटाने की मांग की। इन मुद्दों पर राज्यव्यापी आक्रोश को ध्यान में रखते हुए कानून मंत्री हरिचंदन ने एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी को एक पत्र लिखा और उनसे पूरे मामले की आंतरिक जांच करने तथा सच्चाई को जनता के सामने लाने की व्यवस्था करने को कहा।
तीस अप्रैल को दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के दौरान मुख्य पुजारी रहे रामकृष्ण दासमोहपात्रा ने भी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में नये मंदिर से जुड़े ‘जगन्नाथ धाम’ शब्द को हटाने की मांग की। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘मैं भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से दीघा जगन्नाथ मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटाने का अनुरोध करता हूं।’ दासमोहपात्रा ने कहा, ‘मैं ओडिशा सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन से भी इस मामले पर बातचीत शुरू करने का आग्रह करता हूं। मेरी समझ से, पुरी ही एकमात्र स्थान है, जिसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जाता है।’
उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव ने पूरे विवाद पर कहा कि, ‘मेरे पास सीमित ज्ञान है और मैं उनके (बनर्जी) जितना बुद्धिमान नहीं हूं। मैं जानता हूं कि भारत में चार ‘धाम’ हैं। उन्हें (बनर्जी) यह बताना चाहिए कि उन्होंने दीघा मंदिर को ‘धाम’ क्यों कहा। देश में कई जगन्नाथ मंदिर हो सकते हैं, लेकिन पुरी एकमात्र जगन्नाथ ‘धाम’ है।’ प्रसिद्ध रेत कलाकार और पद्मश्री से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सफाई मांगी है। उन्होंने बनर्जी पर दुनिया भर में भगवान जगन्नाथ के करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। बुधवार को दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के बाद बनर्जी ने इसे ‘धाम’ की संज्ञा दी थी।
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