
डेस्क: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने एक बार फिर दूसरे राज्यों में बंगालियों के उत्पीड़न का मुद्दा (Issue of Harassment) उठाया. विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह भाजपा (BJP) को एक इंच भी जमीन नहीं देंगी. उन्होंने जलपाईगुड़ी में साफ कहा कि बंगाली लोग ही बंगाल चलाएंगे, दिल्ली के लोग नहीं. तृणमूल कांग्रेस बंगाली भावनाओं को चुनाव से पहले मुद्दा बना री है. सत्तारूढ़ दल ने पहले ही भाषा आंदोलन शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, “हम पहले ही 24,000 प्रवासी मजदूर परिवारों को वापस ला चुके हैं. उन्हें स्वास्थ्य साथी कार्ड का लाभ मिलेगा.”
सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “जो श्रमिक बाहर जाते हैं उन्हें सिर्फ इसलिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे बंगाली में बोलते हैं, मैं कहती हूं, बंगाली में अधिक बोलें, और देखते हैं कि किसमें हिम्मत है और वे कितना उत्पीड़न कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि असम से अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी और कूचबिहार के लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं. हमारे लोगों को सिर्फ इसलिए बांग्लादेश की ओर धकेला जा रहा है, क्योंकि वे बंगाली में बोलते हैं. वे आदिवासी लड़कियों को भी नहीं बख्श रहे हैं… आप बंगाल को नियंत्रित नहीं कर सकते. बंगाली लोग बंगाल चलाएंगे, दिल्ली के लोग नहीं.
ममता बनर्जी ने कहा, “आयुष्मान योजना में भेदभाव किया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य साथी में कोई भेदभाव नहीं है. सभी को यह मिलता है.” मुख्यमंत्री ने सवाल किया, “बंगाल का क्या गुनाह है? बंगाल पर नियंत्रण नहीं होगा. बंगाली बंगाल चलाएंगे. दिल्ली नहीं.” उन्होंने कहा कि, नेता कैसा होता है, इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने एक बार फिर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, खुदीराम बोस का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, “देश का नेता वही होगा जो देश को समझेगा. जो जाति के आधार पर बांटता है, वह देश का नेता नहीं है. हम हार नहीं मानेंगे. हम अपना सिर नहीं झुकाएंगे.”
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