
भरतपुर । विधायक डॉ. सुभाष गर्ग (MLA Dr. Subhash Garg) ने आरोप लगाया कि हरियाणा से अपने हिस्से का 481 क्यूसेक पानी लेने के लिए (About taking its share of 481 Cusecs of Water from Haryana) भजनलाल सरकार गंभीर नहीं है (Bhajanlal Government is not Serious) । इस पानी की भरतपुर और डीग जिलों को सख्त आवश्यकता है।
भरतपुर शहर विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने राज्य की भजन लाल सरकार पर यह आरोप विधानसभा में ऐसे समय में लगाया है जब मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट, परवन-काली सिंध लिंक (ईआरसीपी-पीकेसी) और हरियाणा के यमुना जल समझौते को लेकर चारों ओर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य विधानसभा में गुरुवार को नियम 295 के तहत विशेष उल्लेख के तहत यह मुद्दा उठाया। हालांकि कार्य अधिकता के कारण अध्यक्षीय व्यवस्था के तहत यह प्रस्ताव पढ़ा हुआ मान लिया गया। इसमें डॉ. गर्ग ने कहा हरियाणा से अपने हिस्से का 481 क्यूसेक पानी लेने के लिए हरियाणा में स्थित नहरों की री मॉडलिंग जरूरी है। इस पर करीब 1900 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए हरियाणा की सहमति लिया जाना जरुरी है, लेकिन राज्य की भाजपा सरकार यह अनुमति भी नहीं ले पा रही है। वह भी तब जबकि इसकी डीपीआर सीडब्ल्यूसी से अनुमोदित है।
समझौते की पृष्ठ भूमि बताते हुए डॉ. सुभाष गर्ग ने अपने विशेष उल्लेख प्रस्ताव में बताया कि भरतपुर जिले में सिंचाई और पेयजल के लिए साल 1994 में पांच राज्यों यमुना जल समझौता हुआ था। इसके तहत भरतपुर को ओखला हैड से 1281 क्यूसेक पानी आवंटित हुआ था। 7 फरवरी 2003 को केंद्रीय जल आयोग ने यह समझौता इस शर्त के साथ अनुमोदित किया था कि हरियाणा की सहमति प्राप्त की जावे। लेकिन, अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की सहमति लेने के साथ ओखला हैड से 418 क्यूसेक बकाया पानी लेने के लिए 500 क्यूसेक क्षमता वाली गुड़गांव कैनाल की रीसैक्शनिंग करके क्षमता 981 क्यूसेक तक बढ़ाई जाए।
डॉ. सुभाष गर्ग ने प्रस्ताव में बताया कि ओखला हैड पर आवंटित 1281 क्यूसेक में से 800 क्यूसेक पानी उपयोग करने के लिए ही नहरी तंत्र उपलब्ध है। इसमें भी जल प्रवाह के दौरान हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अवैध दोहन, लिफ्टिंग और चोरी के कारण बहुत कम पानी भरतपुर जिले को मिल पाता है। इसके लिए हरियाणा और यूपी पुलिस द्वारा कभी प्रभावी कार्यवाही नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि साल 2014 से 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार केवल 56 प्रतिशत पानी ही हमें उपलब्ध हुआ है। लेकिन, पिछले 4 वर्षों के दौरान यमुना जल पर भारत सरकार, यमुना रिवर बोर्ड और राजस्थान की सतत निगरानी के कारण यह आंकड़ा 72 प्रतिशत तक पहुंचा है। इसलिए उनकी मांग है कि हरियाणा की भाजपा सरकार से बात करके नहरी तंत्र के री-मॉडलिंग प्रस्तावों पर जल्द सहमति ली जाए।
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