

दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं
बारिश की एक बूंद न बे-कार जाने दूं।
अज़हर फऱाग का ये शेर सहाफियों (पत्रकारों) के काम ज़्यादा और छुट्टी कम की कैफियत को लफ्ज़ देता सा लगता है। फिर भी काम की मसरूफियात के बीच ये पत्रकार एकदूसरे के लिए कुछ वक्त निकाल ही लेते हैं। बारिशों के इस मौसम में भजिये, समोसे और चाट खाने के अलग ही मज़े होते हैं। साथ मिलना बैठना हो जाता है तो वहीं हंसने मुस्कुराने के मौके भी मिल जाते हैं। झां पे पेला फोटू दैनिक भास्कर के सीनियर रिपोर्टरों का हेगा। इसमे आपको मनोज जोशी, अनूप दुबोलिया, भीम सिंह मीणा, राजेश गाबा, राहुल शर्मा और विवेक राजपूत नजऱ आ रहे हैं। 6 नंबर के हॉकर्स कार्नर पे ये भजिया पार्टी भीम सिंह मीणा ने दी। भाई लोगों ने यहां जलेबी और लेमन टी का लुत्फ भी लिया। मीणा साब के मुताबिक ऐसे मुक्तसर से पिरोग्रामों से मूड फ्रेश रहता है और आपसी मुहब्बत बढ़ती है। जब भी कभी ऐसा लाइट फ़ूड खाने का दिल करता है तो ये हॉकर्स कार्नर भोत जानदार है। दूसरी तस्वीर राज एक्सप्रेस के एडीटोरियल स्टाफ की है। ये समोसा पार्टी अखबार के न्यूज़ हेड शाहिद कामिल ने दी। अखबार के पीक अवर्स के बीच हुई इस समोसा पार्टी ने काम के दबाव को किसी हद तक कम कर दिया। इस तस्वीर में होस्ट शाहिद कामिल के साथ अनुराग त्रिवेदी, कीर्ति सक्सेना, विकास उपाध्याय, राखी नंदवानी के अलावा कई संपादकीय सहयोगी दिखायी दे रहे हैं। अखबारों में इस तरह के फूड ब्रेक पत्रकारो को रिचार्ज कर देते हैं। भोत उम्दा दोस्तों। काम तो होता रेगा बाकी काम के साथ ये शार्ट महफिलें भी सजाते रहा करिये।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved