
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) ने ऐतिहासिक फैसला(Historic decision) देते हुए आपराधिक न्याय व्यवस्था में बदलाव किया है। दशकों से भारतीय न्यायव्यवस्था(Indian Judiciary) आरोपी को सही केस चलाने और आगे अपील करने का आधिकार देती है। अब कोर्ट ने पीड़ितों और उनके आधिकारिक उत्तराधिकारियों को भी आरोपी के बरी होने की स्थिति में अपील करने का अधिकार दे दिया है। अभी तक यह अधिकार केवल राज्य सरकार या फिर शिकायतकर्ता के पास ही था।
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया। पीठ ने कहा कि जैसे किसी आरोपी को दोषी मान लिया जाता है, तो उसे आगे अपील करने का आधिकार है, ठीक वैसे ही अपराध के पीड़ित व्यक्ति को भी आरोपी के रिहा होने, मुआवजे के कम मिलने की स्थिति में आगे अपील करने का अधिकार होने चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऐतिहासिक फैसले में जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “अपराध के पीड़ित का अधिकार उसी स्तर पर रखा जाना चाहिए, जिस तरह आरोपी के दोषी करार होने पर उसे धारा 374 के तहत अपील का अधिकार मिला हुआ है।”
पीठ ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए बताया कि अपराध से पीड़ित व्यक्ति, चाहे वह चोटिल हुआ हो या आर्थिक तौर पर उसे कम या भारी नुकसान हुआ हो, वह आगे अपील कर सकता है। इतना ही नहीं अगर इस अपील करने और केस की प्रक्रिया के दौरान पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो आधिकारिक तौर पर उसका उत्तराधिकारी उसी अपील को आगे बढ़ा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के रिहा होने की स्थिति में केवल राज्य या शिकायतकर्ता की अपील पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अगर पीड़ित चाहे तो सीधे तौर पर और अपने दम पर भी अपील कर सकता है। इस अधिकार को सीमित नहीं किया जा सकता।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले को लेकर आई है। यहां पर 1992 के हुई एक हत्या के मामले में तीन लोगों को 2004 में दोषी घोषित कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की और हाई कोर्ट ने 2012 में इन्हें निर्दोष घोषित कर दिया। अब मृतक के बेटे ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। इस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
गौरतलब है कि अभी तक राज्य सरकार या शिकायतकर्ता को ही आगे अपील करने का अधिकार था। इस फैसले के बाद इसका दायरा बढ़ गया है।
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