
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका (India and America) एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदे (Important Defense deal) को अंतिम रूप देने के करीब हैं। इसमें 97 एलसीए मार्क 1ए तेजस लड़ाकू विमानों (97 LCA Mark 1A Tejas fighter aircraft) के लिए 113 जीई-404 इंजनों की खरीद के लिए 1 अरब डॉलर से अधिक का समझौता शामिल है। यह नया ऑर्डर पहले से ही कॉन्ट्रैक्ट किए गए 83 मार्क 1ए विमानों के लिए 99 जीई-404 इंजनों से अलग होगा। यह सौदा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच संबंध अपने निचले स्तर पर हैं। ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीद को लेकर 50 टैरिफ लगाया है।
एक रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 113 इंजनों के लिए बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और इस साल सितंबर तक सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इस खरीद का उद्देश्य हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) के लिए इंजनों की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करना है, ताकि उत्पादन में किसी भी प्रकार की देरी से बचा जा सके।
यह स्थिर आपूर्ति एचएएल के लिए अपने उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। पहले 83 विमानों की डिलीवरी 2029-30 तक और बाद के 97 विमानों की डिलीवरी 2033-34 तक निर्धारित है। अमेरिकी कंपनी जीई भारतीय कार्यक्रम के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए प्रति माह दो इंजनों की आपूर्ति करने की उम्मीद कर रही है।
इस बीच, एचएएल जीई के साथ एक अलग सौदे के लिए भी बातचीत कर रहा है, जिसमें 80 प्रतिशत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ जीई-414 इंजनों की खरीद शामिल है। लगभग 1.5 अरब डॉलर के इस सौदे पर आने वाले महीनों में हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जो भारत के एलसीए मार्क 2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रमों के लिए आवश्यक 200 जीई-414 इंजनों की आपूर्ति करेगा।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, एचएएल भविष्य के एलसीए मार्क 2 और एएमसीए कार्यक्रमों के लिए 200 जीई-414 इंजनों की खरीद के लिए जीई के साथ एडवांस बातचीत में है। इस सौदे का मूल्य लगभग 1.5 अरब डॉलर है। इसमें 80 प्रतिशत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल होने की उम्मीद है, जो भारत के रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जीई-414 इंजन 162 एलसीए मार्क 2 विमानों और एएमसीए के 10 प्रोटोटाइप के लिए उपयोग किए जाएंगे। यह नया लड़ाकू विमान कार्यक्रम भारतीय वायुसेना की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पुराने मिग-21 विमानों के बेड़े को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है। इसके अलावा, भारत फ्रांसीसी कंपनी सैफरान के साथ मिलकर एक स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन परियोजना पर भी काम कर रहा है। यह परियोजना भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और विभिन्न वैश्विक स्रोतों से प्रौद्योगिकियों को हासिल करने के प्रयासों का हिस्सा है।
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