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गूगल पे, फोन पे, पेटीएम यूजर्स के लिए बड़ी खबर, 1 अगस्त से लागू होंगे 5 नए नियम

July 28, 2025

नई दिल्‍ली । यूपीआई (UPI) से पेमेंट(Payment) करने वालों के लिए 1 अगस्त 2025 से बड़े बदलाव(Major changes) आने वाले हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने नए नियम जारी किए हैं, जिनमें सबसे खास है, हर सफल ट्रांजैक्शन के बाद बैंक आपको खुद बताएगा कि खाते में कितना बैलेंस बचा है। ऐसा इसलिए ताकि आप बार-बार बैलेंस न देखें और सिस्टम पर दबाव कम हो ।

ये हैं 5 मुख्य बदलाव

1. बैलेंस चेक की लिमिट: अब आप एक दिन में किसी एक ऐप (जैसे PhonePe, GPay) पर सिर्फ 50 बार ही बैलेंस देख सकेंगे। अगर आप दो ऐप्स (जैसे Paytm + PhonePe) इस्तेमाल करते हैं, तो हर ऐप पर 50 बार की अलग-अलग लिमिट रहेगी। व्यस्त समय (सुबह 10 बजे–दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे–रात 9:30 बजे) में बैलेंस चेक करने पर रोक या सीमा लगेगी।


2. हर ट्रांजैक्शन के बाद ऑटो बैलेंस अपडेट: दुकानदारों, ठेले वालों या बिज़नेस करने वालों के लिए बड़ी राहत! अब हर सफल पेमेंट के बाद बैंक SMS या नोटिफिकेशन भेजकर शेष राशि बता देगा। इससे बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं होगी।

3. लिंक्ड बैंक खातों की जानकारी: अपने मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक खातों की लिस्ट अब रोजाना सिर्फ 25 बार ही देख सकेंगे। यह भी तभी जब आप खुद बैंक चुनकर उसकी मंजूरी दें।

4. ऑटोपे का नया शेड्यूल: Netflix, Amazon Prime या SIP जैसे ऑटो पेमेंट अब सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में ही चार्ज होंगे:

– सुबह 10 बजे से पहले

– दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक

– रात 9:30 बजे के बाद

– व्यस्त समय (पीक आवर्स) में ऑटोपे बंद रहेगा ।

5. ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने के नियम: अगर पेमेंट फेल हो जाए या अटके, तो उसकी स्थिति 90 सेकंड बाद ही चेक कर सकेंगे। ऐसा दिन में सिर्फ 3 बार ही किया जा सकेगा और हर बार 45–60 सेकंड का अंतर जरूरी है ।

अन्य अहम बदलाव

सालाना ऑडिट: हर बैंक को साल में एक बार अपने सिस्टम का ऑडिट कराना होगा। पहली रिपोर्ट 31 अगस्त 2025 तक जमा करनी होगी ।

चार्जबैक लिमिट: 30 दिन में सिर्फ 10 बार ही पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) मांग सकेंगे ।

मूल पेमेंट पर असर नहीं: पैसे ट्रांसफर करने या मर्चेंट पेमेंट जैसी मुख्य सेवाएं इन नियमों से प्रभावित नहीं होंगी ।

ये बदलाव क्यों?

पिछले महीनों में UPI सर्वर पर बोझ बढ़ा था, जिससे ट्रांजैक्शन फेल होने या स्लो होने की शिकायतें आईं। NPCI के मुताबिक, बार-बार बैलेंस चेक करने या ऑटोपे प्रोसेसिंग से सिस्टम पर दबाव पड़ता है। नए नियमों से सर्वर लोड कम होगा और यूपीआई स्मूथ चलेगा ।

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