
बीजिंग । लंबे समय तक सीमा विवाद से उपजे तनाव के बाद अब चीन और भारत (China and India) के बीच संबंध सुधर रहे हैं। इस बीच, चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट्स (rare earth magnets) को लेकर खुशखबरी दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय (Indian Ministry of External Affairs) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने बताया कि कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट इंपोर्ट करने के लिए लाइसेंस मिल गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमें देखना होगा कि अमेरिका और चीन की बातचीत हमारे डोमेन में कैसे काम करेगी।’ रेयर अर्थ मैग्नेट इंपोर्ट की मंजूरी मिलने से भारतीय ऑटोमेकर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर को बड़ी राहत मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार, चार भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट इंपोर्ट करने के लिए बीजिंग से मंजूरी मिल गई है। इसका इस्तेमाल भारत की कई स्थानीय इंडस्ट्रीज में हो सकता है। यह छूट छह महीने बाद तब आई है जब चीन ने अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर शुरू होने पर इन जरूरी कच्चे माल के शिपमेंट पर रोक लगा दी थी।
एक ऑटोमोटिव फर्म के सीनियर एग्जीक्यूटिव और एक ऑटो इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप के एग्जीक्यूटिव के अनुसार, चीनी कॉमर्स मिनिस्ट्री ने जे उशिन लिमिटेड, डी डायमंड इलेक्ट्रिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, और जर्मन ऑटोमोटिव कंपोनेंट मेकर कॉन्टिनेंटल एजी और जापान की हिताची एस्टेमो की भारतीय यूनिट्स के रेयर अर्थ मैग्नेट एक्सपोर्ट एप्लीकेशन को मंजूरी दे दी है। इससे पहले, अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि रेयर अर्थ का मुद्दा न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सुलझ गया है। ट्रंप ने साउथ कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है।
एक अन्य एग्जीक्यूटिव ने बताया कि आने वाले दिनों में भारतीय कंपनियों के और एप्लीकेशन को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। तीनों एग्जीक्यूटिव ने नाम न बताने की शर्त पर बात की। नई दिल्ली में हेडक्वार्टर वाली जय उशिन, जेपी मिंडा ग्रुप का मेन ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस है, जबकि हरियाणा में मौजूद डी डायमंड इलेक्ट्रिक, जापान की डायमंड इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड की सब्सिडियरी है।
चीन का इन एप्लीकेशन को हरी झंडी देने का फैसला भारतीय ऑटोमेकर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर के लिए एक बड़ी राहत है, जो पावरफुल मोटर और एडवांस्ड इक्विपमेंट बनाने के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट पर निर्भर हैं। ये मंजूरी भारत सरकार के डिप्लोमैटिक दखल के बाद मिली है, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल हैं, जिन्होंने जुलाई में चीन दौरे के दौरान भारतीय इंडस्ट्री की चिंताओं को उठाया था।
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