
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के लगभग चार लाख कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति (Promotion) को लेकर नौ वर्षों से चली आ रही प्रतीक्षा अब समाप्त होने वाली है। राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण (Reservation) को लेकर नया प्रारूप तैयार कर लिया है, जिस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) और मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) ने सहमति जता दी है। यह प्रस्ताव जल्द ही अगली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। प्रस्तावित व्यवस्था के अनुसार, किसी पद के लिए रिक्तियों का वर्गीकरण अनुसूचित जाति (16%), अनुसूचित जनजाति (20%) और अनारक्षित वर्ग के अनुसार किया जाएगा। सबसे पहले एसटी वर्ग के पद भरे जाएंगे, फिर एससी वर्ग के, और अंत में अनारक्षित पदों पर सभी योग्य दावेदारों को अवसर मिलेगा। यदि आरक्षित वर्ग में कोई पात्र अभ्यर्थी नहीं मिलता है तो संबंधित पद खाली रखे जाएंगे।
क्लास-1 अधिकारियों की पदोन्नति के लिए “मेरिट कम सीनियरिटी” का फार्मूला लागू होगा। क्लास-2 व उससे नीचे के पदों के लिए “सीनियरिटी कम मेरिट” का आधार अपनाया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह संतुलित व्यवस्था आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्गों के हितों का ध्यान रखेगी। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद किसी की पदावनति (रिवर्ट) नहीं की जाएगी और पूर्व में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। नई व्यवस्था उस दिन से लागू मानी जाएगी जिस दिन इसका औपचारिक नोटिफिकेशन जारी होगा।
सरकार ने निर्णय लिया है कि पदोन्नति की प्रक्रिया हर साल सितंबर से नवंबर के बीच संपन्न होगी। पात्रता का निर्धारण 31 दिसंबर तक किया जाएगा और 1 जनवरी से पद रिक्तियों के अनुसार योग्य अधिकारियों को पदोन्नति दी जाएगी। पदोन्नति की रिक्तियों की संख्या के दोगुना दावेदारों के साथ चार अतिरिक्त अभ्यर्थियों को सूची में शामिल किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि 6 पद रिक्त हैं, तो 12 (दोगुना) + 4 अतिरिक्त = कुल 16 लोगों को प्रमोशन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। पिछले कई वर्षों से प्रमोशन पर लगी रोक के कारण लगभग एक लाख कर्मचारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सरकार अब इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति देने की दिशा में कार्य कर रही है।
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