
दमोह: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना (Chief Minister’s Tirtha Darshan Scheme) में लंबे समय से मिल रही शिकायतों के बाद दमोह ज़िले में बड़ी कार्रवाई हुई है. कामाख्या देवी की तीर्थयात्रा के दौरान 16 अनधिकृत लोगों को ले जाने का मामला सामने आने के बाद जांच कराई गई. लगभग एक साल तक चली जांच के बाद पांच ज़िम्मेदार लोगों पर गाज गिरी है. दो पटवारी, एक राजस्व निरीक्षक, एक पंचायत सचिव और एक क्लर्क को निलंबित कर दिया गया है.
दरअसल, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में लापरवाही और गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं. इसी बीच, दमोह जिले में लंबी जांच के बाद पांच जिम्मेदारों को निलंबित कर दिया गया है. प्रदेश के धर्मस्व मंत्री धर्मेंद्र लोधी के गृह जिले में हुई इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है. जांच में दोषी पाए गए लोगों में दो पटवारी, एक राजस्व निरीक्षक, एक पंचायत सचिव और इस योजना का जिम्मा संभालने वाला क्लर्क शामिल हैं.
मामले के अनुसार पिछले साल तीर्थ दर्शन योजना के तहत दमोह से एक ट्रेन बुजुर्गों को लेकर कामाख्या देवी के दर्शन के लिए गई थी. नियमानुसार, इस यात्रा पर जाने वाले बुजुर्गों का बाकायदा पंजीकरण किया गया और फिर लॉटरी सिस्टम से उनका चयन किया गया. चयनित लोगों में से दस लोग इस ट्रेन से कामाख्या दर्शन के लिए स्टेशन नहीं आए, बल्कि जितने बुजुर्ग चुने गए थे, उतने ही बुजुर्ग तीर्थयात्रा पर गए. इसका साफ़ मतलब है कि लोगों को फर्जी तरीके से इस यात्रा पर ले जाया गया.
जांच रिपोर्ट आने के बाद दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने नियुक्त सहायक ग्रेड 3 प्रेमनारायण सारथी, राजस्व निरीक्षक धरम सिंह परस्ते, पटवारी तहसील दमोह शेलेन्द्र सिंह ठाकुर, पटवारी दमयंती नगर वीर विक्रम अहिरवाल , और जनपद पंचायत पथरिया के सचिव दशरथ प्रसाद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. कलेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि 16 लोग अनाधिकृत रूप से तीर्थ यात्रा पर गए थे और ये लोग इसमें शामिल थे. निलंबन के साथ ही इन 16 लोगों पर खर्च हुई सरकारी राशि की वसूली के भी आदेश दिए गए हैं और वसूली न होने की स्थिति में इन पांच लोगों से यह पूरी राशि वसूल की जाएगी.
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