
नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central government) और मणिपुर सरकार (Government of Manipur) ने कुकी-ज़ो समूहों के साथ एक नया समझौता किया है. इस समझौते में राज्य की क्षेत्रीय एकता को बरकरार रखने की बात दोहराई गई है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के दूसरे हफ्ते में मणिपुर जा सकते हैं. मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई हिंसा के बाद ये उनकी पहली यात्रा होगी.
आज नई दिल्ली में हुई बातचीत के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसमें एक अहम शर्त राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को फिर से खोलने की है, ताकि यात्रियों और जरूरी सामान की आवाजाही बिना रुकावट हो सके. कुकी-ज़ो परिषद (KZC) ने भरोसा दिया है कि वे इस रास्ते पर शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करेंगे. ये फैसला गृह मंत्रालय और KZC के बीच कई दौर की बैठकों के बाद लिया गया है.
मणिपुर मई 2023 से जातीय हिंसा की आग झेल रहा है, ये हिंसा तब शुरू हुई, जब पहाड़ी इलाकों के आदिवासी समूहों ने हाईकोर्ट के उस आदेश का विरोध किया, जिसमें तत्कालीन बीरेन सिंह सरकार को बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने के लिए कहा गया था. इस संघर्ष में अब तक करीब 260 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें कुकी और मैतेई समुदाय के लोग और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं. हालांकि पिछले कुछ महीनों से हालात कुछ हद तक शांत बने हुए हैं.
आज त्रिपक्षीय ऑपरेशन सस्पेंशन (SoO) समझौते में बदलाव किया गया. नई शर्तें तुरंत लागू हो गई हैं और अगले एक साल तक मान्य रहेंगी. इन शर्तों में खास तौर पर मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने पर जोर दिया गया है. कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट ने भरोसा दिलाया है कि वे अपने सात कैंप संघर्ष वाले इलाकों से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट करेंगे. इस कदम से तनाव घटाने और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
समझौते में यह भी तय किया गया है कि शिविरों की संख्या घटाई जाएगी और मौजूद हथियार नज़दीकी सीआरपीएफ या बीएसएफ कैंपों में जमा कराए जाएंगे. इस कदम का मकसद क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को मज़बूत करना है. इसके साथ ही सुरक्षाबल कैडरों का सख्त शारीरिक सत्यापन करेंगे. इसका उद्देश्य समूहों में मौजूद किसी भी विदेशी नागरिक की पहचान करना और उन्हें सूची से हटाना है. यह पूरी प्रक्रिया राज्य में व्यवस्था बनाए रखने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है.
एक संयुक्त निगरानी समूह इन नए नियमों पर सख्ती से नज़र रखेगा. अगर कोई उल्लंघन पाया गया तो उस पर तुरंत और कड़े कदम उठाए जाएंगे. ज़रूरत पड़ने पर SoO समझौते की समीक्षा भी की जा सकती है. इस पूरी प्रक्रिया का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि शांति बहाली की कोशिशें लगातार और सही दिशा में आगे बढ़ती रहें.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved