
नई दिल्ली । मांग और वृद्धि के लिहाज बड़े शहरी बाजार एफएमसीजी उद्योग (FMCG Industry) के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। इस नुकसान की भरपाई के लिए एफएमसीजी कंपनियों (FMCG Companies) की ग्रामीण बाजारों (Rural Markets) पर निर्भरता बढ़ गई है। खास बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों ने वृद्धि के मामले में लगातार चौथी तिमाही में बड़े शहरी बाजारों को पीछे छोड़ दिया है।
डाटा एनालिटिक्स फर्म नीलसनआईक्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलेंडर वर्ष 2024 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में मूल्य के लिहाज से एफएमसीजी उद्योग ने ग्रामीण बाजारों में 10.6 फीसदी की वृद्धि हासिल की है। त्योहारी मांग से मोटे तौर पर खपत आधारित वृद्धि हुई। महंगाई के कारण 3.3 फीसदी औसत मूल्य वृद्धि के बावजूद कुल मात्रा में 7.1 फीसदी बढ़ोतरी रही है। उच्च खाद्य महंगाई के कारण उपभोक्ता छोटे पैक खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में शहरी खपत जुलाई-सितंबर अवधि की तुलना में दोगुना बढ़ी है। वहीं, ग्रामीण बाजारों में वृद्धि तिमाही आधार पर 5.7 से बढ़कर 9.9 फीसदी पहुंच गई, जो शहरी खपत से दोगुनी है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रामीण बाजार शहरों से आगे निकल रहे हैं। मात्रा के लिहाज से एफएमसीजी उद्योग की वृद्धि में इनका 38 फीसदी योगदान रहा।
छोटे विनिर्माताओं ने बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ा, सस्ते पैक की मांग
एफएमसीजी के ग्राहक सफलता प्रमुख रूजवेल्ट डिसूजा ने कहा, चार तिमाहियों में पहली बार हमने देखा है कि खपत और मूल्य निर्धारण का संयोजन एफएमसीजी विकास को गति दे रहा है। अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में छोटे/स्थानीय विनिर्माताओं ने बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। उनके छोटे और किफायती पैक खपत को बढ़ावा दे रहे हैं। शीर्ष-8 महानगरों में मंदी के बावजूद ई-कॉमर्स खरीदारी व्यवहार को प्रभावित करता रहा।
अब भी किराना दुकानों से ही खरीदारी
लोग खरीदारी के लिए अब भी किराना दुकानों जैसे पारंपरिक व्यापार माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं। नीलसनआईक्यू के मुताबिक, अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में पारंपरिक माध्यमों के जरिये मात्रा के लिहाज से बिक्री सालाना आधार पर 3.9 फीसदी से बढ़कर 8.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है।
इस दौरान सुपरमार्केट और हाइपरमार्केट जैसे आधुनिक व्यापार माध्यमों के जरिये बिक्री में 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
एफएमसीजी बिक्री में पारंपरिक व्यापार माध्यमों की कुल बाजार हिस्सेदारी 89 फीसदी है।
खाने-पीने की वस्तुओं की बढ़ी खपत
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में खाद्य तेल और बेवरेजेज श्रेणियों ने खाद्य मात्रा में वृद्धि को बढ़ावा दिया। खाद्य तेल, पाम ऑयल और पैकेज्ड आटे जैसी प्रमुख श्रेणियों की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद खाद्य उत्पादों की खपत वृद्धि 7 फीसदी पहुंच गई, जो 2023 की समान अवधि में 5.6 फीसदी थी।
कपड़े धोने संबंधी उत्पादों की खपत बढ़ने से होम एंड पर्सनल केयर (एचपीसी) श्रेणी में समग्र वृद्धि दर बढ़कर 9.3 फीसदी पहुंच गई, जबकि मात्रा आधारित बढ़ोतरी की दर 7.3 फीसदी रही।
कुल बिक्री में खाद्य उत्पादों का 61 फीसदी योगदान
एफएमसीजी उद्योग की कुल बिक्री में खाने-पीने की वस्तुओं का सबसे अधिक 61 फीसदी योगदान रहा। इसके बाद होम एंड पर्सनल केयर की 32 फीसदी हिस्सेदारी रही। बाकी सात फीसदी का योगदान ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) उत्पादों ने दिया।
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