
नई दिल्ली । बिहार(Bihar) में सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के आदेश के बाद तमाम लोग वोटर लिस्ट(Voter List) में अपना नाम जुड़वाने की कोशिश (try to add name)में जुट गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया है। लेकिन बीएलओ का कहना है कि वह अभी चुनाव आयोग से लिखित आदेश के इंतजार में हैं। इसके चलते जमीनी स्तर पर अभी काफी ज्यादा कंफ्यूजन है। तमाम ऐसे लोग हैं, जिनका नाम पिछले दो चुनावों में वोटर लिस्ट में था। लेकिन इस बार उनका नाम लिस्ट से गायब है। यह लोग काफी ज्यादा परेशान हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई नाम जुड़वाने की अंतिम तिथि करीब आती जा रही है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।
लिखित आदेश का इंतजार
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया। इसके मुताबिक एसआईआर के दौरान जिन लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कट गया है, वह 1 सितंबर तक अपना नाम जुड़वा सकते हैं। इसके लिए 11 अप्रूव्ड डॉक्यूमेंट्स की लिस्ट भी जारी की जा चुकी है। इन लोगों के पास ऑनलाइन नाम जुड़वाने का भी विकल्प मौजूद है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जमीनी हालात बिल्कुल अलग हैं। आरा, भोजपुर, बेतिया समेत कई जिलों में लोग अपना नाम वोटर लिस्ट में फिर से जुड़वाने के लिए परेशान हैं। पश्चिमी चंपारण के एक व्यक्ति ने बताया कि एक बीएलओ ने मुझसे कहा कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है। लेकिन हम लिखित आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
जमीनी स्तर पर कंफ्यूजन
इस तरह कागजों में भले ही राहत मिलती नजर आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कंफ्यूजन के चलते प्रक्रिया में काफी दिक्कत आ रही है। तमाम ऐसे लोग जिनका नाम वोटर लिस्ट से कट गया है, दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं। यहां पर इंटरनेट की पहुंच भी बहुत धीमी है। वहीं, बीएलओ लिखित आदेश की रट लगाए बैठे हैं। टीओआई के मुताबिक पूर्वी चंपारण के एक बीएलओ ने कहा कि हम आधार को तब तक नहीं ले सकते जब तक चुनाव आयोग हमें लिखित आदेश नहीं जारी कर देता।
समय सीमा को बता रहे कम
वहीं, भोजपुर की एक अन्य बीएलओ ने कहा कि जो समय सीमा तय की गई है, वह बहुत कम है। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारियों को इस समय सीमा को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इस बीएलओ के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर वोटर लिस्ट में छूटे हुए लोगों से आधार कार्ड ले पाना बहुत मुश्किल काम है। बिना लिखित आदेश के बीएलओ इस पर काम करने भी डर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि बाद में इस आदेश को चुनौती दी जा सकती है। वहीं, राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स भी इस काम में सहयोग नहीं कर रहे हैं। एक बीएलओ ने बताया कि फॉर्म जमा करने में बीएलए बहुत कम सहयोग कर रहे हैं।
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