
नई दिल्ली । बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया अब पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजनीति में भी उबाल ला रही है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस कवायद को लेकर सीधे चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बिहार (Bihar) महज बहाना है, असली निशाना पश्चिम बंगाल है। टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने कहा कि चुनाव आयोग BJP की कठपुतली बन चुका है और ये पूरी प्रक्रिया राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को छिपे तौर पर लागू करने की साजिश है। राज्यसभा सांसद डेरिक ओ’ब्रायन और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह प्रक्रिया गरीब, पिछड़े, प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश है। महुआ ने तो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है, जिस पर सुनवाई होनी है।
भाजपा नेता और दार्जिलिंग से सांसद राजू बिष्टा ने आरोपों को खारिज करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 के तहत नियमित है और ममता सरकार असली डर से ग्रस्त है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोट बैंक उजागर हो जाएगा। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी अब इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्होंने अवैध प्रवासियों को वोटर बना रखा है। अब अगर सूची की जांच हुई, तो सब सामने आ जाएगा।”
पार्टी सूत्रों ने बताया कि बिहार को इस प्रक्रिया के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि वहां NDA सरकार है और किसी भी खामी को बंगाल में लागू करने से पहले सुधारा जा सकता है। एक बीजेपी नेता ने कहा, “बंगाल में हम मतदाता सूची में फर्जी नामों की सफाई से चुनाव में बड़ा फायदा उठाना चाहते हैं।”
NRC और CAA की राजनीति
BJP लंबे समय से बंगाल में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान चला रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में आरोप लगाया था कि उत्तर 24 परगना में बांग्लादेशियों को वोटर कार्ड मिल रहे हैं। वहीं तृणमूल ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और NRC को लेकर लगातार विरोध जताया है। ममता ने कहा था, “हम बंगाल में NRC नहीं लागू होने देंगे।”
1993 में युवा कांग्रेस नेता के तौर पर ममता बनर्जी ने वाम सरकार पर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया था और इसके विरोध में सचिवालय तक मार्च निकाला था, जिसमें 13 कांग्रेस कार्यकर्ता मारे गए थे। 2005 में भी ममता ने लोकसभा में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी को लेकर जोरदार विरोध किया था और स्पीकर के सामने कागज फेंककर वेल में पहुंच गई थीं।
वाम दल बोले- ममता ने ही BJP को हथियार दिया
CPI(M) के वरिष्ठ नेता वकील बिकाश भट्टाचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी ने ही पहले ‘घुसपैठिया’ शब्द को राजनीतिक रंग दिया था, जिसे अब भाजपा उनके खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने यह भी कहा, “गरीबों को घुसपैठिया बताकर मतदाता सूची से हटाना मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है।”
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