
इन्दौर। नगर निगम एक तरफ कई विभागों का रिकार्ड डिजिटल कर रहा है और इसके लिए तमाम कार्य चल रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर नगर निगम के जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र कार्यालय में स्थिति इसके ठीक अलग है। वहां रिकार्ड का एक पूरा कमरा ही बनाना पड़ा है। 1911 से लेकर आज तक का मूल रिकार्ड वहां संभालकर रखा गया है, क्योंकि कई बार इसकी जरूरत पड़ती है, जबकि काफी रिकार्ड कम्प्यूटराइज्ड किया जा चुका है।
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक पहले दौर में वर्ष 1980 से लेकर 1999 तक जन्म-मृत्यु पंजीयन के रिकार्ड को कम्प्यूटराइज्ड किए जाने का काम शुरू किया गया और फिर उसके बाद वर्ष 2000 से सारा रिकार्ड कम्प्यूटराइज्ड कर दिया गया, लेकिन रिकार्ड कम्प्यूटराइज्ड करने के बाद उसे संभालकर रखना जरूरी है। इसी के चलते निगम के जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र कार्यालय के कर्मचारियों को हर तीन-चार माह में मशक्कत कर रिकार्ड को सुरक्षित करना होता है और साथ ही दवाइयों का छिडक़ाव करने से लेकर रिकार्ड पर बांधे जाने पर लाल कपड़े बदलने होते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक कई बार कम्प्यूटर पर दर्ज रिकार्ड को लेकर मूल रिकार्ड देखने की आवश्यकता पड़ती है और उस दौरान यह रिकार्ड काफी काम आता है। इसी के चलते इस रिकार्ड को संभालकर रखा जा रहा है। अब निगम की पूरा कमरा भरकर इकट्ठा हुए रिकार्ड को और बेहतर ढंग से रखने को लेकर कुछ नए प्रयोग करने की तैयारी है, ताकि रिकार्ड के लिए बार-बार वहां बदलाव की जरूरत नहीं पड़े।
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