
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रदेश अध्यक्ष (State President) का फैसला अब तीन जुलाई या जुलाइ के पहले सप्ताह में कभी भी हो सकता है। प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव (Election) के लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। संभवतः एक जुलाई को चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाए और तीन जुलाई को भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पद के नाम को अंतिम रूप दे दिया जाए।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव जुलाई के पहले सप्ताह में कराया जा सकता है। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हैं जो एक या दो जुलाई को भोपाल आने वाले हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जुलाई के पहले सप्ताह में ही पूरी हो जाएगी। ऐसा इसलिए भी संभव है, क्योंकि पहलगाम हमले के बाद भाजपा ने संगठन चुनाव की प्रक्रिया रोक थी दी। लेकिन अब चुनाव की प्रक्रिया दो दिन पहले फिर शुरू कर दी है। एक राज्य में चुनाव की तारीख का भी ऐलान हो चुका है, वहीं महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है।
प्रदेश संगठन में फिलहाल सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष, ओबीसी से मुख्यमंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग से उपमुख्यमंत्री हैं। ऐसे में संगठन संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी आदिवासी या महिला नेता को सौंपे जाने की संभावना है। अंतिम निर्णय पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा।
प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए भाजपा द्वारा पहले ही जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश परिषद के 345 सदस्य चुन लिए गए हैं। दो विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया गया है, जिसके तहत परिषद सदस्य चुने गए हैं। आरक्षित वर्गों (एससी-एसटी) के लिए सीटों के अनुरूप संबंधित वर्ग से ही परिषद सदस्य बनाए गए हैं। महिलाओं और ओबीसी वर्ग को भी समुचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। मध्यप्रदेश भाजपा में अधिकांश बार प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। केवल दो बार ही मतदान की स्थिति बनी थी। पहली बार 1990 के दशक में लखीराम अग्रवाल और कैलाश जोशी के बीच, और दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच, जिसमें वर्मा विजयी हुए थे।
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