
जींद। दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Dependra Hooda) ने कहा कि किसानों के नाम पर वोट मांगने वाले अगर कल विधानसभा में किसान के साथ खड़े होते तो नजीता कुछ और ही होता। सरकार अविश्वास प्रस्ताव भले ही जीत गई पर उसने जनमत खो दिया। इस अविश्वास प्रस्ताव ने अगले चुनाव में मतदान के लिए जनता की राह को आसान कर दिया है। जनता के सामने सारी तस्वीर शीशे की तरह साफ हो गई है कि कौन जनता के साथ है और कौन सरकार के साथ। किसान विरोधी नेताओं के चेहरे बेनकाब हो गए हैं। अगले चुनाव में ये लोग अब जनता को गुमराह नहीं कर सकेंगें।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार ने कुछ कुर्सी पसंद विधायकों का विश्वास तो हासिल कर लिया पर जनता का विश्वास हार गयी। अगर हम उनको ही सम्मान नहीं दे पाए तो फिर हम किसको देंगे कल के अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी हो गया जो लोग किसानों के पक्ष में थे वह भी जनता ने देखे जो लोग सरकार के पक्ष में थे वह भी जनता ने देखें जनता जनार्दन है वह फैसला करेगी और कांग्रेस किसानों के साथ ही है रहेगी। आज अलेवा के लोगों ने जो स्वागत किया है उसको देखकर लगता है कि जनता का मोह भाजपा जजपा सरकार से पूरी तरह उठ चुका है। इस मौके पर सरंपच रणधीर चहल, बलराम कटवाल, धर्मेन्द्र ढूल, पूर्व विधायक परमेन्द्र ढूल, वीरेन्द्र घोघडिय़ा, जगमाल चहल, दिनेश डाहौला समेत भारी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।
विधानसभा में किसानों की आवाज नहीं बन सका विपक्ष:चौटाला
इनेलो नेता एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने कहा है कि कृषि कानूनों पर कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष किसानों की बात रखने में पूरी तरह विफल रहा। विपक्ष के साथ जजपा विधायकों ने किसानों की समस्या रखने की बजाय अपने हलकों का दुखड़ा रोया। अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री का जवाब भी संतोषजनक नहीं था।
पत्रकारों से बातचीत में अभय चौटाला ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कटघरे में खड़े करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हुड्डा 22 मिनट सदन में बोले, लेकिन उन्होंने महज आठ मिनट ही किसानों की बात की। इसमें से भी अपने कार्यकाल में बनाए गए कानूनों व एमएसपी की बात करते रहे। वहीं उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के रवैये पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब सीएम रिप्लाई दे थे, मानो ऐसा लगा रहा है कि वे विपक्ष को धमका रहे हैं। जब कृषि कानूनों का मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं तो नया संशोधन किस आधार पर लाया जा सकता है।
अभय ने मुख्यमंत्री के उस ब्यान पर भी आपत्ति जताई कि जिसमें उन्होंने एमएसपी देने की बात कही है। सरकार ने सब्जियों की खरीद भी एमएसपी पर करने का दावा किया, लेकिन हकीकत यह है कि सब्जियों के भाव सही न मिलने पर किसान उन्हें सडक़ों पर फेंक रहे हैं। तोशाम में टमाटर की खेती सबसे ज्यादा होती है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान किसानों को सही भाव न मिलने पर उसे सडक़ों पर फेंका गया। (एजेंसी, हि.स.)
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