
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव यूं तो अगले साल होने हैं, लेकिन उसकी सुगबुगाहट देश के किसी ना किसी कोने में सुनाई ज़रूर देने लगी है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इस साल मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलेंगाना और मिज़ोरम के विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में पक्ष और विपक्ष के बीच की बयान बाज़ी होना लाज़मी है. जहां एक तरफ़ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बीते सालों में किए गए कामों की उपलब्धियों को गिनाने और जनता तक पहुंचाने में व्यस्त है तो वहीं विपक्ष चुनाव जीतने और मोदी सरकार को हटाए जाने के लिए विपक्षी एकता का दम भर रहा है.
अपनी-अपनी विचारधाराओं को परे रख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल राजनीतिक समीकरण बैठाने में व्यस्त हैं. इसी विपक्षी एकता का जो मंच जगह-जगह सजता दिखा रहा है, उस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी में तीखा प्रहार किया है. नकवी ने एकजुट होते विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष गांठों से भरी गठबंधन की गठरी है” उसका न अंदर कोई मोल है न बाहर कोई भाव.
आज नई दिल्ली में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर भारतीय बौद्ध संघ ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इसमें पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मुख़्तार अब्बास नकवी विपक्ष द्वारा की जा रही राजनीति पर काफ़ी बिफरे हुए दिखे. नकवी ने अपने ही अंदाज में कहा कि चौबीस के चुनावी चौपाल पर राजनीतिक दम से पहले राग-द्वेषी द्वन्द इस बात का प्रतीक है कि इन सियासी “घबराए घायल घरानों में घालमेल की घबराहटपूर्ण घुन घनघोर घमासान के घटनाक्रम से धूलधूसरित” होगी. उन्होंने व्यंग भरे अंदाज में कहा कि परिवारों के मोदी हराओ सियासी जुगाड” पर “पब्लिक का मोदी सुशासन हैट्रिक का जुनून” भारी पड़ रहा है.
नकवी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि विपक्षी एकता की हांडी इससे पहले भी 2018 के कुछ राज्यों के चुनाव में विपक्ष के अच्छे प्रदर्शन के बाद भी चढ़ी थी जो पकने से पहले ही पंचर हो गई और 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा को 303 सीटें मिली. नकवी ने कहा कि आज जो दल एकता का ढ़ोल पीट रहे हैं वह “पुराने ढोल के नए खोल” से ज्यादा कुछ नहीं है. इनमें अधिकांश दल अलग-अलग राज्यों में मिल कर पहले भी ताल ठोक कर ठुक चुके हैं.
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