
बंगलूरू । कर्नाटक (Karnataka) में भाजपा (BJP) के एक नेता ने सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और लोकायुक्त (Lokayukta) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। बृहत बंगलूरू महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पूर्व पार्षद एनआर रमेश (NR Ramesh) का आरोप है कि पित्रोदा ने वन विभाग के अधिकारियों समेत पांच वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की मदद से बंगलूरू के येलहंका में 150 करोड़ रुपये की 12.35 एकड़ सरकारी जमीन अवैध रूप से हासिल की।
ईडी को शिकायत में रमेश ने कहा कि सैम पित्रोदा उर्फ सत्यनारायण गंगाराम पित्रौदा ने 23 अक्तूबर 1993 को मुंबई में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार कार्यालय में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन नाम से एक संगठन पंजीकृत कराया था। पित्रोदा के अनुरोध पर बाद में इसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया। उन्होंने 2008 में बंगलूरू के ब्यातारायणपुरा उप-पंजीयक कार्यालय में इसी नाम से एक ट्रस्ट डीड पंजीकृत कराई।
आरोप है कि इस बीच पित्रोदा ने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय पौधों के संरक्षण और अनुसंधान के लिए एक आरक्षित वन क्षेत्र को पट्टे पर आवंटित करने का अनुरोध किया। पित्रौदा के अनुरोध पर कर्नाटक राज्य वन विभाग ने 1996 में येलहंका के पास जराकबांडे कवल के बी ब्लॉक में पांच हेक्टेयर (12.35 एकड़) आरक्षित वन भूमि पांच साल के पट्टे पर आवंटित की थी। भाजपा नेता ने कहा कि सैम पित्रोदा की मुंबई स्थित एफआरएलएचटी की लीज अवधि दो दिसंबर 2011 को समाप्त हो गई थी और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। लीज अवधि समाप्त होने के बाद राज्य वन विभाग को 12.35 एकड़ सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करना था, जिसकी कीमत अब 150 करोड़ रुपये से अधिक है। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले 14 वर्षों से भूमि को पुनः प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया है। इस मामले में सैम पित्रोदा ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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