
पुणे । छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजेपी नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा (Deputy Chief Minister Vijay Sharma) ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार (Vice Presidential Candidate) जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी (Justice B Sudarshan Reddy) को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि 2011 में उनके द्वारा दिए गए एक फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा में वृद्धि हुई।
पुणे में शुक्रवार को रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी द्वारा आयोजित ‘छत्तीसगढ़ में नक्सली चुनौती पर काबू पाना’ विषय पर व्याख्यान देते हुए शर्मा ने कहा कि 2011 के फैसले के बाद बस्तर में दहशत फैल गई थी। पूरे क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा हत्याओं की लहर दौड़ गई। हजारों लोग इसके शिकार हुए। कई लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। लोगों को अपंग बना दिया गया या गला घोंटकर मार डाला गया।
भाजपा नेता ने कहा कि वह यह बताना चाहेंगे कि जिस जज ने वह फैसला सुनाया था, वह आज कांग्रेस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। बस्तर के लोगों ने मुझसे पूछा है कि क्या यह उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार वही जज है? उन्हें उनका नाम याद है। ऐसे व्यक्ति को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है? उन्होंने कहा कि सलवा जुडूम आंदोलन बस्तर में नक्सलियों द्वारा किए गए अत्याचारों के जवाब में शुरू हुआ था।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने नक्सलियों से अपनी सुरक्षा के लिए अपने शिविर स्थापित किए। इसमें शुरुआत में सरकार की कोई भागीदारी नहीं थी। बाद में सरकार ने कुछ सहायता प्रदान करना शुरू किया। यह आंदोलन पूरी तरह से जनता द्वारा संचालित था। सलवा जुडूम शब्द का अर्थ है शांति की बहाली।
आंदोलन से जुड़े लोगों ने नक्सलियों का विरोध किया और उन्हें अपने गांव छोड़ने को कहा। शर्मा ने बताया कि जब नक्सलियों ने इन शिविरों पर हमला करना शुरू किया तो सरकार ने आंदोलन के सदस्यों को विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) के रूप में नियुक्त करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि 2011 में, जस्टिस रेड्डी ने एक फैसला सुनाया जिसमें सलवा जुडूम की स्थापना को गलत बताया गया। इसे एक असंवैधानिक समानांतर व्यवस्था बताते हुए इसे भंग करने का आदेश दिया गया।
शर्मा ने कहा कि यह फैसला ठोस कानूनी तर्क पर आधारित नहीं था, बल्कि काफी हद तक एक अकादमिक तर्क था। उन्होंने कहा कि बस्तर के लोग अब भी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में याचिकाकर्ताओं और पुलिस की दलीलें तो सुनीं, लेकिन उनकी अपनी आवाज कभी नहीं सुनी गई। अदालत ने सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की बात सुने बिना ही फैसला सुना दिया।
शर्मा ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के अनुसार, मार्च 2026 तक बस्तर से सशस्त्र नक्सलवाद का सफाया करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बस्तर के हर कोने में भारतीय संविधान को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शर्मा ने कहा कि नक्सली किसी के अधिकारों के लिए नहीं लड़ रहे हैं। वे केवल माओवाद की विचारधारा में विश्वास करते हैं, जो कहती है कि सत्ता बंदूक की नली से आती है। इसी विचारधारा के साथ वे स्थानीय लोगों में आतंक पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार नक्सल आंदोलन में शामिल लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
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